SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 14
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राग और द्वेष अज्ञान और मोह क्रोध, मान, माया और लोभ के ताप से संतप्त बनी आत्मा, जब भावनाओं के महासागर में डुबकी लगाती है, तब उसके मोह का ताप/संताप दूर हो जाता है, कषायों की आग शान्त हो जाती है और प्रात्मा परम आनन्द की अनुभूति करती है। देखा है कभी भावनाओं के उस महासागर को ? हिन्द महासागर या अरब की खाड़ी को तो शायद देखा ही होगा? परन्तु भावनाओं का महासागर तो उससे भी अधिक विराट् और गहन है। यदि आप उससे अपरिचित/अनजान हों तो आइए, महोपाध्याय श्रीमद् विनय विजयजी म. हमें उसका परिचय कराते हैं, मात्र परिचय ही नहीं, उन भावनाओं के साथ तदाकार/तन्मय बनने का उपाय भी बतलाते हैं। भावनाओं की शक्ति अजोड़ है। जरा, भूतकाल के इतिहास को उठाकर देखें ( १२ )
SR No.022305
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy