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________________ दर्शयन् किमपि सुखवैभवं, ____संहरंस्तदथ सहसव विप्रलम्भयति शिशुमिव जनं, कालबटुकोऽयमत्रैव रे। रे ॥ कलय० ४३ ॥ अर्थ-यह काल रूपी बटुक जीवात्मा को थोड़ा सा सुखवैभव दिखाकर, पुनः उसे खींच लेता है, इस प्रकार यह काल जीवात्मा को बालक की भाँति ललचाता रहता है ।। ४३ ।। विवेचन कुत्ते को फंसाने के लिए उसे रोटी के टुकड़े का लालच दिया जाता है। चूहे को पिंजरे में फंसाने के लिए उसमें रोटी का टुकड़ा रखा जाता है। ___गाय को अपनी ओर खींचने के लिए घास के पूले की लालच दी जाती है। ...और ! बेचारे ये प्राणी थोड़े से लोभ में पाकर मानव के चंगुल में फंस जाते हैं। परन्तु मानव भी सुरक्षित कहाँ बचा है ? उसको भी नीचे गिराने के लिए मोहराजा ने उसे 'भौतिक-सुख' का लालच दिया है। 'सुख' का नाम सुनते ही मनुष्य पागल हो जाता है और शान्त सुधारस विवेचन-११५
SR No.022305
Book TitleShant Sudharas Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnasenvijay
PublisherSwadhyay Sangh
Publication Year1989
Total Pages330
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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