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सूचना। ग्रंथका पारमाण अधिक होने के कारण इसके दो खंड ६ किये गये हैं। यह प्रथम खंड है इसमें सात अध्याय तक निरूपण है पांच अध्यायोंका दूसरा खंड भी शीघ्र हीप्रकाशित होगा इसके संशोधनादि कार्योंमें यथाशक्ति सावधानी रक्खी गई है परंतु दृष्टिदोष अल्पज्ञता आदि ६ कारणोंसे अशुद्धि रह जाना संभव है। विज्ञजन सुधार
कर पढने पढानेकी कृपा करें।