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श्री संवेगरंगशाला विकल्प अर्थात अनाज की निष्पत्ति तथा किल्ले, कुंआ, नीक, नदी का प्रवाह का वर्णन, चावल रोपण आदि करना तथा घर मन्दिर का विभाग, गाँव नगर आदि की स्थापना करना इत्यादि विकल्प करता उस कथा को विकल्प कथा कहते हैं। स्त्री पुरुषों के विविध वेष को नेपथ्य कहते हैं, वह स्वाभाविक और शोभा के लिए की जाती है, इस तरह दो प्रकार के भेद हैं उसकी प्रशंसा या निंदा करना वह नेपथ्य कथा है। इस तरह चार प्रकार की देश कथा जानना । अब राज कथा कहते हैं।
४. राज कथा :-- यह भी चार प्रकार की कही है-(१) निर्यान कथा, (२) अतियान् कथा, (३) बल वाहन कथा तथा (४) कोठार कोष कथा । उसमें गांव, नगर या आकर से राजा का जो निकला वह निर्याण है और उसी स्थान में ही जो प्रवेश करना उसे अतियान कहते हैं। इस निर्याण और अतियान के उद्देश्य लेकर राजा का जो वर्णन करना वही निर्याण कथा और अतियान कथा है । वह इस प्रकार महा शब्द वाली दुदुभि की गर्जना द्वारा, मन्त्री सामंत राजा आदि जिसके पास आ रहे थे, जिसके हाथी घोड़े, रथ और पैदल सेना के समूह से पृथ्वी तल ढक गया था, हाथी की पीठ पर सम्यग् बैठा था, चन्द्र समान निर्मल छत्र और चमर का आडम्बर वाले और देवों का स्वामी इन्द्र समान राजा महा ऋद्धि सिद्धि के साथ नगर में से निकलता है इत्यादि निर्याण कथा है। क्रीड़ा पर्वत जंगल आदि में यथेच्छ विविध क्रीड़ा करके जिसमें घोड़ों के खूर से खुदी हुई पृथ्वी की रज से सेना के सारे मनुष्य मलिन हो गये थे, भ्रकूटी के इसारे मात्र से स्व स्व स्थान पर विदा किए हुए और इससे जाते हुए सामंत जिसको नमस्कार किया है ऐसे राजा ने मंगलमय बाजे बजते पूर्वक नगर में प्रवेश करता है। इत्यादि अतियान कथा है। बल वाहन तो हाथी, घोड़े, खच्चर, ऊँट आदि का कहा जाता है उसका वर्णन स्वरूप कथा को बल वाहन कथा कहते हैं। जैसे कि-घोड़े, हाथी, रथ और यौद्धाओं का समूह से दुर्जन अनेक शत्रुवर्ग को जिसने हराया है, वह इस प्रकार की सेना अन्य राजाओं के पास नहीं है। ऐसा मैं मानता हैं। इत्यादि बल वाहन कथा है। कोठार अर्थात् अनाज भरने का स्थान और कोष अर्थात् भण्डार उसका वर्णन करना उस कथा में नाम कोठार कोष कथा कहते हैं। जैसे कि-निज वंश में पूर्व पुरुषों की परम्परा आया हुआ उनका भण्डार अपने भुजा के पराक्रम से पराभव होते शत्रु राजाओं के भण्डारों से हमेशा वृद्धि को प्राप्त करते अखूट रहता है। इत्यादि चार विकथा का वर्णन किया। अब इस विकथा को करने से दोष लगते हैं उन्हें कहते हैं।