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श्री संवेगरंगशाला फिर 'राजा का सन्मान प्राप्त करने से और प्रेमपूर्वक बात करती थी' वह प्रसन्न रहती थी। इससे राजा ने एकान्त में सुन्दरी से कहा कि-हे चन्द्रमूखी ! शरीर और मन की शान्ति को नाश करने के लिये पूर्व के बने वृतान्त को भूलकर, मेरे साथ इच्छानुसार विषय सुख का भोग करो। हे सुतनु ! दीपक की ज्योति से मालती की माला जैसे सूख जाती है, वैसे शोक से तपी हई तेरी कोमल कायारूपी लता हमेशा सूख रही है । हे सुतनु ! जन-मन को आनन्द देने वाला भी राहु के उपद्रव से घिरा हुआ शरद पूर्णिमा के चन्द्र बिम्ब समान जनमन को आनन्द देने वाला भी शोकरूपी राहु के उपद्रव से पीड़ित तेरा यौवन सौभाग्य का आदर नहीं होता है। अति सुन्दर भी, मन प्रसन्न भी और लोक में दुर्लभ भी खो गई अथवा नाश हुई वस्तु को समझदार पुरुष शोक नहीं करते हैं। अतः तुझे इस विषय में अधिक क्या कहे ? अब मेरी प्रार्थना को तू सफल कर, पण्डितजन प्रसंगोचित्त प्रवृत्ति में ही उद्यम करते हैं। काट को अति कटु लगने वाला और पूर्व में कभी नहीं सुना हुआ यह वचन सुनकर व्रत भंग के भय से उलझन में पड़ी गाढ़ दुःख से व्याकुल मन वाली उसने कहा कि-हे नर शिरोमणी ! सुकुल में उत्पन्न हुआ, लोक में प्रसिद्ध और न्याय मार्ग में प्रेरक, आपके सहश श्रेष्ठ पुरुष को पर स्त्री का सेवन करना अत्यन्त अनुचित है। इस लोक और परलोक के हित का नाश करने में समर्थ और तीनों लोक में अपयश की घोषणा रूप है। राजा ने कहा कि-हे कमल मुखी ! चिर संचित पुण्य समूह के उदय से निधान रूप मिली हुई तुझे भोगने में मुझे क्या दोष है ? उसके बाद राजा के अतीव आग्रह को जानकर उसने उत्तर में कहा कि-हे नरवर ! यदि ऐसा ही है तो चिरकाल से अभिग्रह ग्रहण किया है जब तक वह पूर्ण नहीं होता है तब तक उस समय का रक्षण करो। फिर आप श्री की इच्छानुसार मैं आचरण करूँगी। यह सुनकर प्रसन्न हुआ राजा उसके चित्त विनोद के नाटक, खेल आदि को दिखाता समय पूर्ण करता था।
इधर नन्द का जीव जो बन्दर बना था उसे योग्य जानकर बन्दर को नचाने वाले ने पकड़ा, और उसको नाटक आदि अनेक कला का अभ्यास करवा कर प्रत्येक गाँव, नगर में उसकी कलाएँ दिखाते उन खिलाड़ियों ने किसी समय उसे लेकर श्रीपुर नगर में आया। वहाँ घर-घर में उसे नचाकर वे राजमहल में गये और उहाँ उन्होंने उस बन्दर को सर्व प्रयत्नपूर्वक नचाने लगे, फिर नाचते उस बन्दर ने किसी तरह राजा के पास बैठी हुई सुन्दरी को पूर्व के स्नेह भाव से विकसित एक ही दृष्टि देखने लगा और 'मैंने इसको किसी स्थान पर देखा है' ऐसा बार-बार चिन्तन करते उसे पूर्व जन्म का स्मरण आया और