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________________ २०१ श्री संवेगरंगशाला देखे तो छह महीने, दक्षिण दिशा खण्डित दिखे तो तीन महीने, पश्चिम दिशा खण्डित दिखे तो दो महीने और उत्तर दिशा खण्डित दिखे तो एक महीने जीवित रहता है। इससे अधिक जीता नहीं रहेगा । और वह सूर्य बिम्ब रेखा वाला देखे, पन्द्रह दिन छिद्र वाला देखे तो दस दिन और धूम्र सहित देखे तो पाँच दिन तक जीता रहेगा, इससे अधिक नहीं जीयेगा । वायु रहित भी जिसके घर में दीपक के समग्र अंग तेल, बत्ती आदि श्रेष्ठ हो और बार-बार दीपक को प्रगट करने पर भी यदि सहसा बुझ जाए तथा जिस बीमार के घर में निमित्त बिना ही बरतन अति प्रमाण में बार-बार नीचे गिरे और टूट-फूट जाये तो वह भी शीघ्र मर जाता है। जिसको अपने कान आदि पाँच इन्द्रियों द्वारा भी शब्द रस, रूप, गंध और स्पर्श का ज्ञान न हो अथवा विपरीत ज्ञान हो तथा वह बीमार आए हुए श्रेष्ठ वैद्य का और उसके दिया हुआ औषध का अभिनन्दन नहीं करे क्योंकि उसे भी निश्चय अन्य शरीर में जाने में तत्पर बना है ऐसा जानना । जो चन्द्र और सूर्य के बिम्ब को काजल के समूह रूप काला श्याम देखे तो बारह दिन में यम के मुख में जाता है। आहार पानी परिमित मात्रा लेने पर भी जिसको अति अधिक मल मूत्र हो अथवा इससे विपरीत-अधिक आहार पानी लेने पर मल मूत्र अल्प हो तो उसकी मृत्यु नजदीक में जानना। जो पुरुष सदगुणी भी परिजन, स्वजनादि परिवार में पूर्व में अच्छा विनीत था फिर भी सहसा विपरीत वर्तन करे, उसे भी अल्प आयु वाला जानना। और जिस दिन आकाश तल को नहीं देखे, परन्तु दिन को तारा देखे, देवताओं के विमान देखे, उसे भी यम का घर नजदीक जानना । जो सूर्य चन्द्र के बिम्ब में अथवा ताराओं में एक-दो या अनेक छिद्र देखे उसका आयष्य एक वर्ष जानना। दोनों हाथ के अंगूठे से कान के छिद्रों को ढाकने के बाद भी यदि अपने कान के अन्दर में आवाज को नहीं सुने तो वह सात दिन में मरता है। दाहिने हाथ से मजबूत दबाकर दबाकर बायें हाथ की उंगलियों के पर्व जिसे लाल नहीं दिखे उसकी भी मृत्यु शीघ्र जानना। मुख, शरीर या चोट स्थान आदि में जिसको बिना कारण अति इष्ट या अति अनिष्ट गन्ध उत्पन्न हो तो वह भी शीघ्र मरता है। जिसका गरमी वाला शरीर भी अचानक कमल के फूल समान शीतल हो, उसे भी यमराज की राजधानी के मार्ग का मुसाफिर जानना। जहाँ पसीना आता हो ऐसे ताप वाले घर में रहकर हमेशा अपने ललाट को देखे, उसमें यदि पसीना नहीं आता तो जानना कि मृत्यु नजदीक आ गई है। जिसकी सूखी विष्टा तथा थूक शीघ्र पानी में डुब जाये तो वह पुरुष एक महीने में यम के पास पहुँच जाता है । हे कुशल ! निरन्तर जिसके शरीर में
SR No.022301
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPadmvijay
PublisherNIrgranth Sahitya Prakashan Sangh
Publication Year1986
Total Pages648
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size18 MB
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