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श्री संवेगरंगशाला
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एक दिन आदि भी बहुत समय कह दिया, क्योंकि एक मुहर्त मात्र भी ज्ञान का सम्यग् परिणाम होने से इष्ट फल की प्राप्ति होती है, यहां शास्त्र में कहा है कि-अज्ञानी जितने कर्मों को अनेक करोड़ों वर्ष में खत्म करते है उतने कर्मों को तीन गुप्ति वाले ज्ञानी पुरुष एक उच्छ्वास (श्वास) मात्र काल में खत्म करते हैं। यदि ऐसा नहीं होता तो हे मन ! सम्यग् ज्ञान के परिणाम रूप गुणरहित पूर्व में किसी गुण की साधना बिना ही श्री मरूदेवा उसी क्षण में सिद्ध ह हैं, वह कैसे होते ? हे मन ! तू तो किसी समय राग में रंगा हुआ तो किसी समय द्वेष से कलुषित होना, किसी समय मोह में मूढ बनना तो किसी वक्त क्रोधाग्नि से जलना, किसी समय मान से अक्कड़ना, तो किसी समय माया से अति व्याप्त रहना, किसी दिन बड़े लोभ समुद्र में सर्वांग डुबा हआ, तो किसी समय वैर मत्सर उद्वेग-पीड़ा, भय और आत-रौद्र ध्यान के आधीन होता है किसी समय द्रव्यक्षेत्र आदि की चिन्ता के भार से यूक्त, इस तरह नित्यमेव तीव्र वायु से उड़ते ध्वजापट के समान तू व्याकुल बना कदापिपरमार्थ में थोड़ी भी स्थिरता को प्राप्त नहीं करता इत्यादि हे चित्त ! तुझे कितनी शिक्षा दी है ? तू स्वयमेव हिताहित के विभाग को विचार कर और उसका निश्चय कर, उसके बाद नित्य कुशलता- (शुभ) में प्रवृत्ति और कुशल मार्ग में रहने वालों का सत्कार, सन्मान कर । अकुशल प्रवृत्ति और अकुशल वस्तु का त्याग कर ! शुभाशुभ में राग-द्वेष त्याग कर माध्यस्थ भाव का सेवन कर । इस प्रकार अकुशल का त्याग और कुशलमार्ग में प्रवृत्ति रूप मुख्य कारण द्वार हे मन ! त समाधि रूप परम कार्य को सिद्ध करेगा। इस प्रकार यदि भावपूर्वक नित्य प्रति समय मन को समझाया जाए तो एक साथ तू माया, क्रोध और लोभ को जीत लेगा इसमें क्या आश्चर्य है ? अन्यथा अनत्य विविध कवि कल्परूप कल्पनाओं में आसक्त चित्त से पीड़ित, हित को भी अहित, स्वजन को भी पराया, मित्र को भी शत्रु और सत्यता में भी गलत मानकर वसुदत्त के समान, निरंकुश हाथी के समान रोकना दुःशक्ण मनुष्य कौन-कौन से पाप स्थान को नहीं करता है ? वह इस प्रकार है :
मन की चंचलता पर वसुदत्त की कथा उज्जैन नगर में सूरतेज नाम का राजा था उसने सोमप्रभ नाम का ब्राह्मण पुरोहित रखा था, वह सभी शास्त्रों के रहस्य का जानकार, सर्व प्रकार के दर्शनों का जानकार, सद्गुणी होने से गुण वालों को और राजा को अत्यन्त प्रिय था। उसके मर जाने के बाद उसके स्थान पर स्थापन करने के