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________________ तथा वंदन का सूत्र में ५८ पद हैं उन्हे दर्शाया जायेगा, वंदन के ६ स्थान (६ अधिकारशिष्य के प्रश्न रुप में) कहेंगे, वंदन के समय गुरु को बोलने योग्य ६ वचन (प्रश्नों के उत्तर रुप में) कहेंगे, गुरु की ३३ आशातनाओं का वर्णन, और वंदन की विधि (रात्रि व दिन संबंधि) कहेंगे, (इसगाथा में पांच दार) इस प्रकार २२ मुख्य दारों के ४९२ स्थान (दार के उत्तर भेद ४९२) होते है। भाष्य कर्ता द्वारा कथित २२ द्वार || मुल बार के ४४२ 'उत्तर भेदों का कोष्टक || दोष ३२ १. वंदन के नाम २. द्रष्टान्त गुण ३. वंदन अयोग्य गुरुस्थापना | ४. वंदन योग्य अवग्रह - | ५. वंदन अदाता वंदन सूत्र के, क्षरों की संख्या ६. वंदन दाता पदसंख्या ७. निषेध स्थान स्थान (शिष्य के प्रश्न) ८. अनिषेधस्थान गुरुवचन ९. वंदन के कारण | | २१ गुरु आशातना १०. आवश्यक ૨૫ | ૨૨ विधि११. मुहपत्ति पडिलेहणा १२. शरीर प्रतिलेखना शास्त्रो में ब्दादशावर्त वंदन के १९८ भेद कहे है, उसमें २२६ अक्षर, ५८ पद, ४ वंदनदाता, ४ वंदन अदाता ४ अनिषेधस्थान, २ विधि, १ गुरुस्थापना, ये २९९ भेद व कुल . ४९२
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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