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________________ || श्री जिनेन्द्राय नमः ॥ श्री गुरुवंदन भाष्य (भावार्थ सहित) गुरुवंदन के तीन प्रकार गुरूवंदणमह तिविहं तं फिट्टा छोभ बारसावत्तं । सिर नमणाइसु पदमं, पुन्नखमासमण दुगि बीअं ॥१॥ शब्दार्थ : गुरु वंदणं = गुरू वंदन, अह = अथ (देव वंदन के बाद), तिविहं = तीन प्रकार, तं = वह, फिट्टा = फेटा वंदन, छोभ = छोभ वंदन, बारसवत्तं = व्दादशावर्त वंदन, सिर = मस्तक, नमणाइसु = झुकाने आदि से, पदमं = प्रथम (फेटा वंदन ), पुन्न = पूर्ण, संपूर्ण; खमासमण=खमासमण, दुगि = दो देने, के द्वारा, बीअं दूसरा (छोभवंदन) = गाथार्थ : :- अब देव वंदन कहने के बाद गुरुवंदन कहा जाता है, वह फेटा वंदन, छोभ वंदन और व्दादशावर्त्त वंदन (आदि) तीन प्रकार का है। उसमें मस्तक झुकाने आदि से प्रथम फेटा वंदन होता है। गुरू को दो खमासमणे संपूर्ण देने से छोभवंदन होता है ॥ १ ॥ विशेषार्थ : भावार्थ गाथार्थ के अनुसार अर्थ समझना सुगम है, लेकिन विशेषता यह है कि सिरनमणाइस में प्रयोगरत आदि शब्द से, दो हाथ को परस्पर जोड़ने से तथा अंजलि करने से प्रथम फेटावंदन होता है, इस प्रकार समझना । तथा यहाँ पर पुन्न (खमासमण दुगि)' शब्द से दो खमासमण संपूर्ण देने के लिए कहा है । अर्थात् संपूर्ण पाँचों अंगों को झुकाने से दूसरा वंदन होता है । इस प्रकार सूचित किया है । (गुरुवंदन भाष्य की पीठिका) अवतरण :- पूर्व गाथा में दो प्रकार के गुरूवंदन का अर्थ कहने के बाद अब तीसरे प्रकार के गुरुवंदन का अर्थ कहा जा रहा है, लेकिन दूसरे प्रकार वाले गुरुवंदन में और कहे जाने वाले तीसरे प्रकार के गुरूवंदन में भी दो-दो बार वंदन करने के लिए कहा है। उसका क्या कारण? इसका उत्तर दर्शाती गाथा । १. गाथा में सप्तमी विभक्ति है, प्राकृत के नियम से तृतीया के अर्थ में प्रयोग हुआ है, अत: दोनो स्थानों के अर्थ में तृतीया विभक्ति समझना । २. एक अंगादि ४ प्रकार के प्रणाम चैत्यवंदन भाष्य में कहे गये हैं, वैसे प्रणाम यहाँ गुरूवंदन के विषय में फिटावंदन तरीके गिना जाता है कारण कि खमासमणा तो पंचांग प्रणिपात रूप में ही देना चाहिये । लेकिन एकांगादि प्रणामरूप नहीं । 81
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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