SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 50
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ शब्दार्थ :- पणिहाणि - तीन प्रणिधान में, एसु इन ( ९ ) सूत्रोंमें, कमा= अनुक्रमसे, गुरु वन्ना = संयुक्त व्यंजन (अक्षर) गाथार्थ :- तीन प्रणिधान सूत्रों में (जावंति चेई०, जावंतके वि०, • जयवीयराय०) अनुक्रम से ३५, ३८ और ७९ अक्षर-कुल १५२ अक्षर है। तथा संयुक्त व्यंजन नवकार में ७, खमासमण में ३, इरियावहिया में १४, शक्रस्तवमें ३३, चैत्यस्तवमें २९, नामस्तव में २७, श्रुतस्तवमें ३४, सिद्धस्तवमें ३१, और प्रणिधान सूत्रों में १२ संयुक्त व्यंजन हैं | ||४०|| विशेषार्थ:- यहाँ गुरु अक्षर यांने' संयुक्त व्यंजन समजना, लेकिन संयुक्त व्यंजन से पूर्व का अक्षर गुरु (संयुक्त) होता है इस नियम का प्रयोग यहाँ नही करना । संयुक्त व्यंजन कौन कौन से हैं? जिसका निराकरण हम स्वतः ही कर सकते हैं। लेकिने कितनेक (६ स्थानों पर) स्थानो पर मतान्तर है। मात्र उसकी जानकारी दी गयी है । १. नवकार में "प्पणासणी" के स्थान पर "पणासणों" कहते हैं जिससे ७ संयुक्त व्यजन के बजाय ६ संयुक्त व्यंजन होते हैं । २. इरियावहिया में ठाणाओ ठाणं के स्थान पर "ठाणाओट्ठाणं" कहते हैं। जिससे २४ गुरु अक्षर के बजाय २५ गुरु अक्षर होते हैं । ३. नमुत्थुणं में “वियह छउमाणं" के स्थान पर "विअट्टच्छउमाणं" कहते हैं। जिससे संयुक्त व्यंजन २४ के स्थान पर २५ होते हैं । ४. चैत्यस्तव दंडक में "काउस्सग्गं" शब्द तीन बार आता है । उसमें "स्स" के स्थान पर "स" का उच्चारण करने से संयुक्त व्यंजन ३ कम होने से २९ के स्थान पर २६ संयुक्त व्यंजन होते हैं । ५. लोगस्स में " चउवीसंपि” के स्थान पर चउव्वीसंपि कहते हैं । जिससे संयुक्त व्यंजन २८ के स्थानपर २९ होते हैं । १. मागधीभाषामें संयुक्त व्यंजन स्वजाति के तथा स्व वर्ग के द्वित्वरुप समजना । संयुक्त व्यंजन अन्य वर्ण के साथ जुड़कर संयुक्त नहीं बनता। ये मतान्तर भाष्य की अवचूरि के अनुसार ये गये हैं । 41
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy