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________________ नामस्तवादि ३ सूत्रों की संपदा पद और अक्षर नाम थयाइसु संपय-पयसम अडवीस सोल वीस कमा अदुरुत्त वन दोसह - दुसयसोलह नउअसयं ||३|| शब्दार्थ :- नामथय - नामस्तव (लोगस्स), पयसम - पद के समान आइसु-विगेरे (३ सूत्रमें), कमा-अनुक्रम से, अदुरूत्त-पुनरुक्त नहीं।" ___ गाथार्थ:- लोगस्स विगेरे (अर्थात) लोगस्स - पुक्खरवर और सिद्धाणं बुद्धाणं इन तीन (सूत्रों) में अनुक्रम से संपदाएं पद तुल्य (अर्थात्) २८-१६-२० पद और उतनी ही संपदाएं है । तथा दूसरी बार सूत्रोच्चार के समय नहीं बोले गये अक्षर २६०, २१६ और १९८ है। विशेषार्थ :- इन तीन सूत्रों में लोगस्स सूत्र की ७ गाथाएँ हैं, प्रत्येक गाथा के चार चरण (चार पाद-भाग) व उतने ही पद है तथा संपदाएँ हैं - अर्थात् कुल चरण २८ के अनुसार पद २८ व संपदा भी २८ है । इसी तरह पुक्खरवरदी की चार गाथाएँ हैं । उसके १६ चरण के अनुसार १६ पद और संपदाएं भी १६ है । सिद्धाणं बुद्धाणं की ५ गाथाएँ हैं, अतः उसके २० चरण के अनुसार २० पद और २० संपदाएँ हैं । और अक्षरों की संख्या, गाथा २६ वी में कहे गये अनुसार जानना वहा.लोगस्स में सव्वलोए, पुखरवरदी में “सुअस्स" भगवओं और सिद्धाणं में “वेयावच्चगराणं संतिगराणं, सम्मदिटठि समाहिगराण” इनके अक्षर अधिक गिनने के कारण लोगस्स के २६०, पुक्खरवरदी के २१६, वसिद्धाणं के १९८ अक्षर होते हैं। लेकिन पद और संपदा के अनुसार अक्षरों की संख्या इतनी नहीं होती है । प्रणिधान सूत्रके अक्षर तथा चैत्यवंदन संबंधि : सूत्रों के गुरु अक्षर दर्शाती गाथा, (लघु अक्षर की संख्या स्वतः प्राप्त हो जाते हैं ।) पणिहाणि दुवन्नसयं कमेसु सग-ति चउवीस-तित्तीसा | गुणतीस-अहवीसा, चउतीसिगतीस बार गुरुवन्ना ||४|| 40
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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