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संक्षेप में : भक्ष्य विगई के ३० नीवियाते दूध , तेल के दहि के, पयः शाटी
१. तिलकुट्टी १. करंब रवीर ___ २. निभंजन २.शिखरिणी
३. पक्वतेल ३. सलवणदधि अवलेहिका ४. पक्वौषधितरित ४. घोल दूग्धाटी ५. तिलमलि ५. घोलवड़ा
पेया
घृत के. गुड़ के पकवान के
निर्भजन - १. साकर १. द्वितीयपूड़ला २. विस्पंदन २. गुलवाणी २. चतुर्थ घाणादि ३. पक्वौषधि तरित ३. पाकगुइ ३. गुड़ धाणी ४. किटि . ४. शक्कर ४. जल लापसी ५. पक्वघृत ५. अर्धक्वथित ईक्षुरस ५. पोतकृत पूडलंग
इस प्रकार सामान्यतः ३० नीवियातों का वर्णन किया, लेकिन विगई के रुपान्तर से होने वाले बहुतसारे नीवियाते हैं। जिनका विस्तार अन्यग्रंथों से समजना ।
अवतरण :- 'निहत्थ संसडेणं' इस आगार से पूर्व में आयंबिल में कल्पनीय द्रव्यों के बारे में कहा गया है। अब इस गाथा में इसी आगार के द्वारा नीवि तथा विगई के प्रत्याख्यान में कल्पनीय गृहस्थ संसृष्ट द्रव्य कौन से है? उन्हे दर्शाया गया है।
दुध्ध दही चउरंगुल, दवगुल घय तिल्ल एग भतुवरिं। पिंडगुडमक्खणाणं, अददामलयं च संसहं ॥३॥
शब्दार्थ:- दवगुल नरमगुड, द्रवगुड़, एग-एक अंगुल, भत्त उवरिs=भोजन | के ऊपर, अद्दामलयं आमिलक, पीलु के, वा-शीण के महोर, संसह-संसृष्ट, मिश्र,
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