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________________ गाथार्थः- (१) द्राक्ष सहित उकाला हुआ दूध (प्रायः बासुंदी उसे ) पयःशाटी कहा जाता है। (२)अधिक तंदूल के साथ उबाला हुआ दूध 'खीर कहलाता है।(३)अल्प तंदूल के साथ उबाला हुआ दूध पेया कहलाता है । (४)तंदूल के चूर्ण के साथ उबाला हुआ दूध अवलेहिका कहलाता है । और (५) खट्टे पदार्थों के साथ उबाला हुआ दूध 'दुग्धाटी कहलाता है। (इस प्रकार पाँच प्रकार से पदार्थों के साथ रांधा हुआ दूध अविगइ नीवियाते गिने जाते हैं) ये नीवियाते उपधान में नीवि के प्रत्याख्यान में कल्पते हैं, अन्य नीवि में (उपधान | सिवाय ) नही कल्पते हैं। भावार्थ :- गाथा में दर्शाये गये सहियदुध्धे ये पद"दवख' इत्यादि प्रत्येक शब्द के साथ संबंधवाला है, और तंदूल ये पद 'बहु' और 'अप्प' इन दो शब्द के साथ संबंधवाला है। अवतरण :-इस गाथा में घृत व दहि विगई के पांच निवियाते दर्शाये गये हैं । निभंजण-वीसंदण-पक्कोसहितरिय-किट्टि-पक्कघयं । दहिए करंब-सिहरिणि-सलवणदहि घोल-घोलवडा ||३|| * वर्तमान में बासुंदि दूध को उबालकर ही बनाई जाती है, इसलिए जिस प्रकार नीवियाते में दूध पाक द्रष्टिगोचर होता है वैसे बासुंदि नही होती है । कारण कि अन्य द्रव्यो को संयोग | वीना विकृति द्रव्य निर्विकृत नही बनते हैं । इस प्रकार का भावार्थ ३७ वी गाथा में कहा गया भावार्थ भी हेतुरुप लगता है। १. वर्तमान काल में कितनेक तो सिजोये हुए चावल दूध में डालकर, और कितनेक | चावल दूध में डालकर खीर बनाते हैं । ये खीर दूध पाक जितनी जाडीनही, लेकिन अल्प | जाड़ी,(गाढी)है, अपने देश की पध्धति अनुसार बनाते हैं । २.पेया को प्रवचन सारोधार वृति में दूध की काजी (तरी) तरीके बताई है । तथा | वर्तमान में जिसे दूधपाक कहा जाता है, उसे ही पेया कहा गया है। पेया चावल दूध में डालकर उसे उबालकर घट (जाड़ा) बनाया जाता है । ३. कितनेक आचार्य दुग्घाटि को बहलिका कहते हैं, जोकि प्राय तुरंत बीआयेली (ब्यांयी) भेंस विगेरे के दूध की बनती है, जिसे “बरी" कहा जाता है । 181
SR No.022300
Book TitleBhashyatrayam Chaityavandan Bhashya, Guruvandan Bhashya, Pacchakhan Bhashya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorAmityashsuri
PublisherSankat Mochan Parshwa Bhairav Tirth
Publication Year
Total Pages222
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size22 MB
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