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११) बो स्वाध्याय आदेश:- पश्चात् दो खमासमण पूर्वक सज्झाय करने के दो आदेश मांगना, और गुरु के समक्ष स्वाध्याय करना ।
*** : अवतरण:- इस गाथा में संध्या के समय किये जाने वाले बृहत् गुरुवंदन की विधि याने लघुप्रतिक्रमण की विधि दर्शायी है। .इरिया-चिह-वंदण-पुति-वंदन-चरिम-वंदणा-लोयं ।
वंदण खामण चउछोभ - दिवसुस्सग्गो दुसज्झाओ ||३||
शब्दार्थ:- भावार्थ में दर्शाये गये क्रमानुसार । .. गाथार्थ:- भावार्थ के अनुसार सरल है। . विशेषार्थः - संध्या प्रतिक्रमण के नियमवाले श्रावक को कभी कभार प्रतिक्रमण की सामग्री सुलभ न हो अथवा तथा प्रकार की शक्ति के अभाव में इस गाथा में दर्शायीगयी विधि अनुसार बृहत् गुरुवंदन तो अवश्य करना चाहिये । जिसे किसंध्याका लघुप्रतिक्रमण कहा जाता है। जिसकी विधि इस प्रकार है। १). इरियावहियं - इरियावहियं प्रतिक्रमण के पर्यन्ते लोगस्स कहना । ३) चिह वंदण - पश्चात् खमा० देकर आदेश लेकर चैत्यवंदन करना । ३) मुहपति - पश्चात् खमा० देकर आदेश मांग कर मुहपत्ति पडिलेहना। . ५) वंदन - पश्चात् दो बाद व्दादशावर्त वंदन करना । १) दिवस चरिम - पश्चात् दिवसचरिम पच्चक्खाण करना। 6) वंदन :- पश्चात् दो बार दादशावर्त वंदन करना | ७) आलोचना : - पश्चात् आदेश मांग कर दिन संबंधि अतिचार आलोचना (याने इच्छं आलोएमि जो मे देवसिओ अइयारो ये सूत्र कहना ) यहाँ पर मुख्यत्वे इसी सूत्र को लघुप्रतिक्रमण सूत्र समजना । ८) वंदन - पश्चात् दो बार दादशावर्त वंदन करना । ७) खामणा :- पश्चात् आदेस मांगकर अब्भुडिओ खामना ।
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