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निवेदन |
धरणगांव निवासी शेठ भूमकराम भगवानसा दिगम्बरी वीसा आसेवाल, आजसे चारवर्ष पहिले ( वी. सं. २४४३ ) आठसौ रुपये प्रदान कर संस्थाके दानी सहायक हुये थे । यह रकम उन्होंने अपने मृत्युसमय ज्ञानावरणीय कर्मक्षयार्थ जिनवाणीके प्रचारार्थ निकाली थी । तदनुसार " तत्वज्ञानतरंगिणी" ग्रंथ प्रकाशित किया गया और उसकी आई न्योंछांवरसे आज यह दूसरा प्रन्थ सुलभजैन ग्रंथमालामें निकाला जाता है ।
संस्थामें दान किये गये द्रव्यसे दाताकी इच्छानुसार ग्रंथ प्रकाशित कर लागत मात्र न्योछावरसे सर्वसाधारणको दिये जाते हैं और उनकी संपूर्ण द्रव्य उठ आनेपर दूसरा ग्रन्थ छपाया जाता है 1
इसप्रकार एक बार दान देकर सैकड़ों वर्षोंतक कुटुम्बियों की कीर्तिलता जीवित रखनेवाले श्रीमानको हायक हो स्वपर कल्याण करना चाहिये ।
अपनी या अपने
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संस्थाके दानी स
मंत्री