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(१४१), मान ही है परन्तु इस नयके वचनकरि अभिप्रायमें विद्यमान संकल्पकरि परोक्ष अनुभवमें लेकहैं कि या द्रव्यमें मेरे ज्ञानमें अबार यह पर्याय भासै है ऐसे संकल्पक नैगम नयका विषय कहिये. इनमेंमं मुख्य गौर कोईकू कहैं । ___आगें संग्रहनया कहै हैं,जो संगहेदि सव्वं देसं वा विविहदवपज्जायं। अणुगमालिंगविसि, सो वि णयो संगहो होदि ॥ ___ भाषार्थ-जो नय सर्व वस्तुकू तया देश कहिये एक वस्तुके भेद... अनेक प्रकार द्रव्यपर्यायसहित अन्वय लिंग. करि विशिष्ट संग्रह करै, एकस्वरूप कहै, सो संग्रह नय है. भावार्थ-सर्व वस्तु उत्पादव्ययधौव्यलक्षण सत्करि द्रव्य पर्यायनितूं अन्वयरूप एक सत्पात्र है ऐसें कहै, तथा सामा. न्य सतस्वरूप द्रव्य मात्र है, तथा विशेष सतरूप पर्याय मात्र है तथा जीव वस्तु चित् सामान्यकरि एक है तथा सि. दत्व सामान्यकरि सर्व सिद्ध एक है तथा संसारित्व सामान्यकरि सर्व संसारी जीव एक है इत्यादि तथा अजीव सामान्यकरि पुदगलादि पांच द्रव्य एक अजीव द्रव्य है तथा पुद्गलत्व सामान्यकरि अणु सन्ध घटपदादि एक द्रव्य हे इत्यादि संग्रहरूप कहै सो संग्रह नय है। ... आगे व्यवहार नयकू कहै हैं,-- जो संगहेण गहिदं विसेसरहिदं पि भेददे सददं ।