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________________ होज्ज तओ स महप्पा, अंतमुहत्तम्मि आउगे सेसे। कुणइ समुग्घायं तुल्ल-ठिइकए सेसकम्माणं उल्लं संतं वत्थं, विरिल्लियं जह विसुक्कइ खणेणं । संवेल्लियं तु न तहा, तह वेयणियाऽऽइकम्माई बहुकालक्खवणिज्जाइं-ऽणुक्कम वेयणेण किर जाई। खिज्जंति ताई णियमा, समवयस्स क्खणेणं पि इय नीसेसाऽऽवरणाऽ-वगमवियंभंतवीरिउल्लासो। आरभइ समुग्घायं, लहुकम्मखयट्ठया तत्थ चउहि समएहिं दंडग-कवाडमंथजयपूरणाणि तओ। कुर्णइ कमेण णियत्तइ, तहेव सो चउहि समएहिं काऊणाऽऽउसमं सो, वेयणियं तह य नामगोत्ताति(इं)। सेलेसिमुवागंतुं, जोगनिरोहं तओ कुणइ बायरमणप्पओगं, बायरकाएण बायरवइं च । बायरकायं पि तहा, रुंभइ सुहुमेण काएण तत्तो सुहुमं मणवइ-जोगं रुंभेत्तु सुहुमकाएण । काइयजोगे सुहुमम्मि, सुहुमकिरियं जिणो झाइ सुहुमकिरिएण झाणेण, सुनिरुद्ध सुहुमकायजोगे वि। सेलेसी होइ तओ, अबंधगो निच्चलपएसो अवसेसकम्मअंस-क्खयाय पंचक्खरुग्गिरणकालं । वोच्छिण्णकिरियमऽप्पडि-वाइ झाणं झियाइ तओ सो तेण पंचमत्ता-कालेण खवेइ चरिमझाणेण । अणुइण्णाओ उवरिम-समए सव्वाउ पयडीउ चरिमसमयम्मि तो सो, खवेइ वेइज्जमाणपयडीओ। बारस तित्थयरजिणो, एक्कारस सेससव्वण्णू तत्तो अविग्गहाए, गईए समए अणंतरे चेव । पावइ जगस्स सिहरं, खेत्तं कालं च अफुसंतो पज्जत्तमेत्तसण्णिस्स, जेत्तियाइं जहण्णजोगिस्स । होति मणोदव्वाई, तव्वावारो य जम्मत्तो तयऽसंखगुणविहीणो, समए समए निरुंभमाणो सो। मणसो सव्वनिरोहं, कुणइ असंखेज्जसमएहिं पज्जत्तमेत्तबिंदिय-जहण्णवइजोगपज्जया जे उ। तदऽसंखगुणविहीणे, समए समए निरंभंतो सव्ववइजोगरोह, संखाऽईएहिं कुणइ समएहिं । तत्तो उ सुहमपणगस्स, पढमसमओववण्णस्स जो किर जहण्णजोगो, तदऽसंखेज्जगुणहीणमेक्कसमएण । समए निरुंभमाणो, देहतिभागं च मुंचतो रुंभइ स कायजोगं, संखाऽईएहिं चेव समएहिं । तो कयजोगनिरोहो, सेलेसीभावणामेइ सेलेसो किर मेरू, सेलेसी होइ जा तहाऽचलया। होउं व असेलेसो, सेलेसी होइ थिरयाए अहवा सेलु व्व इसी, सेलेसी होइ सो उ थिरयाए । सेव अलेसी होइ, सेलेसी होअलोवाओ सीलं व समाहाणं, निच्छयओ सव्वसंवरो सो य। तस्सेसो सीलेसो, सेलेसी होइ तदऽवत्था हस्सऽक्खराई मज्झेण, जेण कालेण पंच भण्णंति । अच्छइ सेलेसिगओ, तत्तियमेत्तं तओ कालं । तणुरोहाऽऽरंभाओ, झायइ सुहुमकिरियाऽनियट्टि सो। वोच्छिण्णकिरियमऽप्पडि-वाइ सेलेसिकालम्मि तदऽसंखेज्जगुणासेढीए, विरइयं आसि जं पुरा कम्मं । समए समए खवयं, कमसो सेलेसिकालेण सव्वं खवेइ तं पुण, निल्लेवं किंचि दुचरिमए समए। किंचि व्व होइ चरिमे, सेलेसीए तयं वोच्छं मणुयगइजाइतसबायरं च पज्जत्तसुभगमाऽऽएज्जं । अण्णयरवेयणिज्ज, नराउमुच्चं जसो नाम संभवओ जिणनाम, नराऽणुपुव्वी य चरिमसमयम्मि। सेसा जिणसंताओ, दुचरिमसमयम्मि निर्द्धिति ओरालियाऽऽइसव्वाहिं, चयइ विप्पजहणाहिं जं भणियं । निस्सेसतया न जहा, देसच्चारण सो पुव्विं तस्सोदइया भावा, भव्वत्तं च विणियत्तए समयं । सम्मत्तनाणदंसण-सुहसिद्धत्ताणि मोत्तूणं रिजुसेढिं पडिवण्णो, समयपएसंऽतरं अफुसमाणो। एगसमएण सिज्झइ, अह सागारोवउत्तो सो । उड्ढं बंधणमुक्को, तहा सहावत्तओ य सो जाइ । जह एरंडस्स फलं, बंधणमुक्कं समुफिडइ परओ धम्माऽभावा, तस्स गई नत्थि कम्ममुक्कस्स । होइ अधम्मेण ठिई, साइअणंतं च से कालं इह देहतिगं मोत्तुं, सिज्झइ गंतुं तहिं सहावत्थो । चरिमतणुतिभागूणं, अवगाहमुवेइ जीवघणं ईसीपब्भाराए, सीयाए जोयणेण लोगंऽतो। सिद्धाणोगाहणया, उक्कोसं कोसछब्भाओ। तेलोक्कमत्थयत्थो, सो सिद्धो दव्वपज्जवसमेयं । जाणइ पासइ भगवं, तिकालजुत्तं जयमसेसं ॥ ९७४५॥ ॥ ९७४६ ॥ ॥ ९७४७॥ ॥ ९७४८॥ ॥ ९७४९॥ ॥ ९७५०॥ ॥९७५१॥ ॥ ९७५२॥ ॥ ९७५३॥ ॥ ९७५४॥ ॥ ९७५५ ॥ ॥९७५६॥ ॥ ९७५७॥ ॥९७५८॥ ॥ ९७५९॥ ॥ ९७६०॥ ॥ ९७६१॥ ॥ ९७६२॥ ॥९७६३॥ ॥ ९७६४॥ ॥ ९७६५॥ ॥९७६६॥ ॥९७६७॥ ॥ ९७६८॥ ॥ ९७६९॥ ॥९७७०॥ ॥ ९७७१॥ ॥ ९७७२॥ ॥ ९७७३॥ ॥ ९७७४॥ ॥ ९७७५॥ ॥ ९७७६ ॥ ॥ ९७७७॥ ॥९७७८॥ ॥९७७९॥ ॥ ९७८०॥ ૨૦૬
SR No.022285
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh
Publication Year2009
Total Pages378
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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