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________________ सुयइ सुयंतस्स सुयं, संकियखलियं भवे पमत्तस्स । जागरमाणस्स सुयं, थिरपरिचियमऽप्पमत्तस्स ॥७३५६ ॥ सुयइ य अयगरभूओ, सुयं च से नासए अमयभूयं । होही ! गोणब्भूओ, नट्ठम्मि सुए अमयभूए ॥ ७३५७॥ ता भो देवाऽणुपिया!, जिणिउं निद्दापमायपरचक्कं । अप्पडिहयप्पबोहो, विहरसु थिरपरिचियसुयऽत्थो ॥ ७३५८॥ एवं चउत्थमुवइट्ठ-मेत्थ निद्दाऽभिहाणपडिदारं । एत्तो विगहादारं, पंचमगं पि हु पवंचेमि ॥ ७३५९॥ विविहा विरूविगा वा, अहवा संजमविबाहगत्तेण। संभवइ जा विरुद्धा, कहा वि विगह त्ति सा भणिया ।। ७३६०॥ विसयं पडुच्च सा पुण, चउप्पयारा परूविया समए। इत्थिकहा भत्तकहा, देसकहा तह य रायकहा ॥ ७३६१॥ इत्थीणं इत्थीसु व, कह त्ति इत्थीकहा मुणेयव्वा । तद्दारेणं संजम-विरोहिगा जा उ सा विकहा ॥ ७३६२॥ जाइकुलरूवनेवत्थ-गोयरा थीकहा भवे चउहा । तत्थवि खत्तिणिबंभणि-वेसिणिसुद्दीण मज्झाओ ॥ ७३६३॥ अण्णयरजाइयाए, पसंसणा निंदणा व कीरइ जा । सा जाइकहा भण्णइ, तीए सरूवं इमं तु जहा ॥ ७३६४॥ धी! जीविएण खत्तिणि-बंभणिवेसीण बालविहवाणं । जीवन्तमयाए सव्वओ वि तह संकणिज्जाणं ॥ ७३६५॥ सुद्दीओ च्चिय मण्णे, धण्णाउ जयम्मि नवरमेक्काउ। नो जाण नवनवऽण्णऽण्ण-पुरिसकरणे वि दोसोऽत्थि ॥७३६६ ॥ उग्गाऽऽइ-कुलुप्पण्णाण-मऽण्णतरगाण जा पुण पसंसा । निंदा वा किर कीरइ, भणंति तं कुलकहं ति जहा ॥७३६७ ॥ चोलुक्कसुयाणं चिय, तहाविहं साहसं न अण्णाणं । निप्पेमा वि हु पविसंति, जाउ जलणं पइम्मि मए ॥ ७३६८॥ जा पुण रूवपसंसा, अंधिप्पभिईण अण्णतरगाए। निंदा वा तव्विउणो, तं रूवकहं भणंति जहा ॥ ७३६९॥ लीलाललंतलोयणमुहीसु, लायण्णसलिलजलहीसु । रइरमणो विहु अंधीसु, चेव सव्वंगमऽल्लीणो ॥ ७३७०॥ अहवाधूलिपंगुरियतणू, जउमयमणिया वि नो गले बहुया। जट्टीए कारविया, उट्ठवइस्सं तहवि पहिया ॥ ७३७१॥ तासि चिय अण्णयरीए, जाउ नेवत्थसंसणाऽऽइया । सा पुण नेवत्थकहेह, देसिया तन्विऊहि जहा ॥ ७३७२॥ अत्तुच्छाऽणच्छेणं, नेवत्थेणं सुछाइयंऽगीए। वियसंतनयणनीलु-प्पलाए सोहग्गवावीए। ॥ ७३७३॥ नारीए उ दिव्वाए, धिरऽत्थु तारुण्णयस्स तरुणेहिं । लायण्णजलं नयणंऽ-जलीहिं नाऽऽपिज्जए जीए ॥ ७३७४ ॥ भत्तकहा वि चउद्धा, आवायकहा तहेव निव्वावे । आरंभकहा तइया, निट्ठाणकहा चउत्थी उ ।। ७३७५॥ आवायकहा इह रसवतीए, एवइयगाउ सागाऽऽई। एत्तियमेत्ता य घयाऽऽ-इणो रसा पुण पउत्त त्ति ॥ ७३७६ ॥ निव्वावकहा भण्णइ, एत्तियमेत्ता उ वंजणपयारा । तह पक्कण्णविसेसा, एवइया तत्थ भोज्जे त्ति ॥ ७३७७॥ अह आरंभकहा पुण, जलथलखहयरजियाण उवओगो । एत्तियमेत्ताण फुडं, संजायइ तत्थ भोज्जे त्ति ॥ ७३७८॥ निट्ठाणकहा एसा, सयं व पंच व सया सहस्सं वा। किं बहुणा लक्खाऽऽइ वि, उवजुज्जइ तत्थ भोज्जे त्ति ॥७३७९ ।। देसकहा वि चउद्धा, छंदकहा विहिकहा वियप्पकहा । नेवत्थकहा य तहा, तत्थ य देसो उ मगहाऽऽई ॥ ७३८०॥ छंदो गम्माऽगम्मं, जह किर लाडाण माउलगधूया । गम्मा गोल्लाऽऽईणं, भगिणि च्चिय सा अगम्मेव ॥ ७३८१ ॥ अहवा उ उइच्चाणं, माउसवत्ती जहा भवे गम्मा। अण्णेर्सि नेव तहा, जणणि व्व इमा उ छंदकहा ॥ ७३८२॥ तप्पढमयाए जं जत्थ, भुज्जए सा भवे उ देसविही। तीए कहा पुण जा सा, देसविहिकहा मुणेयव्वा ॥ ७३८३॥ अहवा विवाहभायण-भोयण मणिव्वए पसाहणाऽऽईणं । जा विरयणा विहीए, कहेह सा विहिकहा होइ ॥ ७३८४॥ अह होइ विगप्पकहा, तत्थ विगप्पो हु सासनिप्फत्ती। तह वप्पकूवसारणि-नइरेल्लगसालिरोप्पाऽऽई ॥ ७३८५॥ घरदेवउलविभागो, तहा निवेसो य गामनगराऽऽई । एमाऽऽईओ तस्स उ, कहा भवे इह वियपकहा ॥ ७३८६॥ नेवत्थं इह भण्णइ, इत्थीपुरिसाण संतिओ वेसो। सो य दुहा साहाविय-भूसापच्चइयभेएणं ॥ ७३८७॥ तस्संसा निंदा वा, नेवत्थकहा भवे मुणेयव्वा । इइ चउहा देसकहा, रायकहा भण्णए अहुणा ॥ ७३८८॥ सा वि चउद्धा भणिया, निज्जाणकहा तहेव अइयाणे । होइ बलवाहणकहा, तह कोट्ठाऽगारकोसकहा ॥ ७३८९ ॥ गामनगराऽऽगराओ, निग्गमणं नरवइस्स निज्जाणं । एएसुं चिय जं पविसणं तु तं बेंति अइजाणं ॥ ७३९०॥ निज्जाणं अइयाणं, पडुच्च जं वण्णणं णरेंदस्स । सा किर निज्जाणकहा, अइयाणकहा य होइ तहा ॥ ७३९१॥ तहा ૨૦૮
SR No.022285
Book TitleSamveg Rangshala
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVinayrakshitvijay
PublisherShastra Sandesh
Publication Year2009
Total Pages378
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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