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आगमोद्धारक-ग्रन्थमालायाः चतुःपञ्चाशं रत्नम्
णमो त्थु णं समणस्स भगवओ महावीरस्स।। पू० आगमोद्धारकाऽऽचार्य आनन्दसागरसी पीतं
कामसूत्रम्
(संक्षिप्तगुर्जरार्थसहित)
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-संशोधकःपूज्य - गच्छाधिपति-आचार्यश्रीमन्माणिक्यसागरसूरीश्वरशिष्यः
शतावधानी पंन्यास लाभसागरगणिः वीर संवत् २४९९ विक्रमसंवत् २०२९ आगमो० सं० २४ प्रतयः ५०० ]
[मूल्यम् २-००
--प्राप्तिस्थानश्री जैनानंद-पुस्तकालय गोपीपुरा, सुरत.