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उवसम-सण्णीसु तहा, __ आहारेऽणत्थ होइ पुण्णजगं । ण हवइ उप्पाया खलु, . खित्तं कत्थवि गयं खित्तं ॥१२॥ अह फुसणा अवि तिविहा,
तुरियावि गमागमेण देवाणं । सट्ठाणा सव्वत्थवि,
खित्तसमाणा हवइ सा उ ॥१३॥ णिरये सत्तमणिरये, ...
भागा छ दुहा गमागमा णत्थि । भागा इह पत्तेयं,
तसनाडिगयघणरज्जुरुवा ॥१४॥ पढमणरय-णवगेविज्ज- पंचणुत्तरविमाणभेएसं। ण हवेइ गमागमओ, ___ दुविहा पुण जगअसंखंसो ॥१५॥ एमेवाऽऽहारदुगे,
अवेअ मणणाण-संजमोहेसुं । परिहार-छेअ-समइअ
सुहमेसु परंण उप्पाया ॥१६॥ दुइआइणिरयपणगे,
कमा इग-दु-ति-चउ-पंच भागात्थि । दुविहा ण गमागमओ, सव्वतिरि-णर-इग-विगलेसुं ॥१७॥
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