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सिद्धान्तसार..
( २५७ ) थयो रु० रुठ्योथको चं० क्रोधेकरी आकरो थयो कु० कोप्यो मि कोधरुप अग्नियो दीपतोथको तित्रण सप्त निनकुटीए णि लीलाटे सा० चमावे, चमावीने ए एम व कहेदा लाग्यो. के० कोण लोग इति संबोधने. या ए बाणनो मुकणहार अ० अप्रार्थीत मरणनो पa वंठणहारो, दुण् माग पं तुब ला लक्षणनो धरणहार, हिप हीणपुन्यो चा० काली बोली तुटती चउदस अमावाशनो जएयो, हि० लाज सिंण शोना पण रहित, जि जे पुरुष म० मारी ३० एवी ए ताजश्यरुप प्रत्यद दीसती दि० दीव्य दे० देवता संबंधिनी रिद्धि दि प्रधान देव देवतानी जूण् जोती क्रांति दे देवता संबंधी दि० देवताना अनुनाग अने महिमाए करीने ला लाध्या प० पाम्या अ० जोगतां प्रत्ये सनमुख आवे एवी रिजिनपर नम्पोतानी थापदाए परनी संपदानो अनिलाषिथको मारा न जुवनने विषे स० बाण णि नाखे . तिम् एतुं कहीने सि सिंहासनथी था नद्यमवंत थको न, नवीने जे जीहां से ते णा नामांकित (नाम सहित) स बाण ते तीहां न यावे, श्रावीने तं० ते णां नामांकित स० बाण गिळ ग्रहे, ग्रहीने गाए नामना कर अणु वांचे. हवे नामना अदर वांचताथका इ० ए ताअश्यरुप हेवो श्र० श्रात्माथी नपन्यो अनिप्राय चि चिंतारुप प०मार्थनारुप म मनने विषे उपन्यो एवो चिंतारुप सं० संकल्प स० सम्यक् प्रकारे न० उपन्यो. ख० [नश्चे नो० इति आमंत्रणे जं० जंबुजीप नामा छीपने विषे जगजरतत्रने विषे नजरतनामे राजा चाण्चार दिशिना अंतनो करणहार च० चक्रवृत (चक्रनो धरणहार ). तं० ते नणी जी० जीत श्राचार ले मे अमारो ती अतित काले थ प० वर्तमान काले के म अनागत् काले थाशे. मामागधतिर्थ कुछ कुमार दे देवतानो राण राजा चक्रवृतने मुग्नेटणुं का करवानो श्राचार लेतं तेन्नणी गण जावं अ० हुँ पण, जा जरत राजाने नानेटणुं क करुं.ति एम कहीने ए० एतुं सम्यक् प्रकारे संग विचारे, विचारीने दाग हैयानो हार मु माथानो मुकुट कुं० कुंमल का कमां तु बाजुबंध व देवदुष्य वस्त्र प्रमुख