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________________ + सिद्धान्तसार.. लावे तेने लान जाणे के नहिं. तेम साधु तथा सामायक पोसामां बे. ठेलो श्रावक कल्पे तेवी अनुकंपा करे. सकाय ध्यानरुप घणो लाल बो. मीने अकल्पनीक काम जाणे तो, थोमा लान- अनुकंपार्नु काम न करे, प्रण कोइ संवर सामायक विना नवरो बेगे होय ते, जीवनी अनुकंपारुप थोमो लाज कमायतो तेने लाल केम नहिं थशे ? वली जेम सामायक पोसामां बेगं तो साधुने पण दान देवू को सूत्रमा चाट्युं नथी. पण खुल्लो दान दे तेने नलो जाणे के नहिं ? तेम पूर्वोक्त साधु श्रावक कल्पे तेवी श्रनुकंपा करे, पण खुसो अनुकंपा करे तेने जलो जाणेज. .- वली तेरापंथी कहे जे के “जीवने उगायें रक्षा कर्ये लान थाय तो, गजसुकमाल पमिमा साधवा गया, ते नगवंत जाणे ले के, एने सोमील ब्राह्मण परिसह देसे. त्यारे एनी अनुकंपा माटे बे साधु रक्षा करवा केम न मोकल्या ?" तेनो उत्तर. हे देवानुप्रीय ! प्रजुनी तो गजसुकमाल उपर अनंत लावदया हती, पण एम रदा कर्याथी बारमी पमिमा सधाय नहिं अने मुक्तिए जवाय पण नहिं. वली प्रनुए तो गजसुकमालने अनंत सुखरुप मुक्ति थापी जे. बे साधु साने काजे मुंके. वगर साधु मुक्यां पण अनंता दया रदा करी कहीये. जेम मावीत्र पो. साना पुत्रने बलात्कारे कमवू औषध खवरावे, तेथी ते मोंढेथी घणा शब्द करे. ए औषध खवरावतां थकां देखावमां तो माता पीता अशाता दे डे, एम देखीए बीए; पण परमार्थे मावीत्र पुत्रना हितकारी के अहित. कारी ले ? जेवी मावीत्रनी अष्टि पुत्र उपर, तेवी नेमानाथ लगवंतनी अष्टि गजसुकमाल उपर हितनी हती. वली तेरापंथी कहे डे के " चोर, सिंह अने परदारा लंपटने मारता देखोने, एने मारो अगर मत मारो एम न कहे. त्यारे जुने ! मत मारो पण साधु न कहे, त्यारे नगारवो क्या रह्यु ?" तेना उत्तरमा सुयगमांग श्रुतष्कंध बीजे अध्ययन ५ में. ते गाथा ३१ मी लखीए बीए: असंसे अस्वयंवावि, सब के तिवापुणो; वऊपाणा अवचंति, इति वायं णणंसरे. ॥ ३१॥
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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