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________________ + सिद्धान्तसार.. प्रमुख अनेरा सूत्रमा बे. त्रीजा बोलनां फल थोमा घणा धर्म श्राश्री श्रीवीतरागदेवे बीजा बोल सरखां कह्यां ले. तेम जीव नगारे तेनां फल, जीवने न हणे तेनी परे नला जाणवां. एम अमारे मते न हण्यामां श्रने नगार्यामां कांश फेर नथी. . तेवारे तेरापंथी कहे के “एक, जीवने मारे, एक वर्जे जे (टंटा झघमामां पमेडे) अने एक, मौन राखे . हवे मौन राखवावालाने तो, जीव मारे तेनुं पाप नथी लागतुं; कारणके जगतमां अनेक जीव मरे . केने केने उगारशे. केर्नु केनु पाप टालशे. पोतपोताने कर्मे करी पचे डे. मुनीराज तथा श्रावकजी केना केना जगमामां पके मुनीराजने तो अनेक जगतमां जीव मरे तेनुं पाप नथी लागतुं, त्यारे असंजती जोवने बचाववाना जगमामां शा वास्ते पमे. सामु पाप लागे. कारणके को राजी थाय, कोकराजीथाय." तेनो उत्तरः-हे देवानुप्रोय !परोपकारनो बुद्धीवाला, परजीवने उपकार कर्यामां गुण जाणे ते वास्ते उपकार करेज.' जो तमारा कहेवा प्रमाणे परनपकार करवो ते पराया ऊगमामां पम्, एम होयतो श्री तीर्थंकरदेवने तथा केवलीने केवलज्ञान उपन्यु ते पाडं न जाय. त्यारे उपदेश शा वास्ते दे. संसारी जोवे करेबुं पाप तीर्थकर तथा केवलीने तो नथी लागतुं. उलटुं नपदेश सांनलीने को राजी थाय, अने कोइ कराजी थाय. ए परना जघमामां केम पमे ? ए तीर्थकर केवली उपदेश दे ते न हण्यामां के परजीवना नपकार वास्ते ? वली वितिजयपुर-पाटणना धणी उदाइ-राजाए पाबली रातनी चिंत. घणा करी के " जगवंत श्री माहावीरजी पधारे तो बकायने अन्नयदान दनं, दिदा ल.” पठी महावीरदेव घणा साधुना परिवारे पधार्या, अने नदाइ-राजाने दिदा दीधी. शाख सूत्र नगवती शतक तेरमे. हवे जु! उदाइ-राजार्नु करे पाप जगवंतने तो नोहोतुं लागतुं, पण सातसो कोशथी चालीने श्राव्या, रस्तामां अनेक नदी उलंघी हो, साधुजना पगयी बिहारमा असंख्याता जीवोनी घात थ इशे,
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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