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________________ +सिद्धान्तसार. ( १२३) समय-माहने निक्षा सुखे मलशे पढी केशी श्रमणे धर्म पामवाना ने न पामवाना चारचार ठाम कह्या. ए वचन नहीं हण्यामां के जगामां ? इहां चिप्रधाने एमकेम न जाएयुं, के “खसंजतीनुं जीवनुं : वां नही. संजती जीव जीवता रहेशे तो वली जीवनी हिंसा, करशे, ने मने अनुमोदना लागसे; अने राजा एना कर्मे करी मुत्रशे: तेमां मने शुं.” एम तो नथी जाएयुं. पण एम जाणजो के, एवी दुष्ट: सरददणा चीत्तसार्थीनी नोहोती. तेवारे वली तेरापंथी कहेते के, " एतो परना उपगार माटे, रक्षा माटे, छाने गुण माटे नथी कयुं, पण प्रदेशी राजाना तरवासारु, पाप टालवा सारु, अने पाप टलाववा सारु गुणने माटे धुं छे." तेनो उत्तर. " हे देवानुमीय ! जो प्रदेशी राजाना गुणनी खातर कयुं होय तो, एम कहे जोइए के " हे स्वामी ! ए अधर्मी धर्म करेबे, अढार पाप सेवेबे, तेने ते समजावो, के ते घढार पाप न सेवे, ने एना श्रात्मानुं साधन थाय, एवं करो". पण इहांतो त्रण पाठ का, ते परजीवने नगारखाना एटले परने उपगार करवाना कह्या बे. ते परजीवने नगार्याथीज पोतानुं तनुं श्रने श्रात्मानुं साधन थाशे, एमां शो जूल बे. परजीवने उगारवानुंज चित्तप्रधाने कयुं ते कारण बे, अने परदे - शीनुं तनुं तथा आत्मानुं साधन थाय ते कार्य बे. पहेलुं कारण ने पढी कार्य थाय. ते माटे साधुजी परजीव नगरे तेवो उपदेश दे. तेज रीतेश्री केशी कुमारे उपदेश दीघो अने चीनसार्थीए धर्म दलाली कीधी. एन दावुं युं के परजीवने उगारखं युं ? माया हो ते वीचारी जोजो. कार मुनीने आहार बोमवो कह्यो बे. शाख सूत्र उत्तराध्ययन अध्ययन २६ मानी गाथा ३५ मी ते पाठ लखीए बीए. प्रायंके नवसग्गो, तितिख्खुया बंजचेर गुत्तीस; पाणीदया तवदेऊ, सरीर वोबेयण हाए. ॥३५॥ १६
SR No.022232
Book TitleSiddhant Sar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGambhirmal Hemraj Mehta
PublisherGambhirmal Hemraj Mehta
Publication Year1908
Total Pages534
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size16 MB
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