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________________ शतपदी भाषांतर. ( ५७ ) लख्युं छे के “जे दिवसे एकने मोकलं ते दिने बीजानुं पौषध हतुं" एम कडं छे. इहां पौषध शब्द अभिग्रहवाची जणाय छे. ____(६) वळी कोइ कहे के भगवतीमां शंखश्रावकना अधिकारे लख्युं छे के “शंखे वीजा श्रावकोने कयु के तमे असन, पान, खादिम, स्वादिम करावो एटले आपणे ते खातापीता थका पाक्षिकपौषध पाळता विचरशं" एपरथी पोसहमा श्रावकने भोजन आवे छे के नहि ? तेनुं ए उत्तर छे के भोजन नथी आवतुं कारण के टीकाकारे इहां बीजी रीते व्याख्यान कर्यु छे ते एम छे के खातापीता थका" इहां वर्तमानकाळ छे तोपण अर्थ भूतकाळनो : करवो तेथी एवो अर्थ थाय छे के “खाइपी लीधा बाद." अने इहां भूतकाळनो अर्थ छतां भोजन कर्या बाद तरतज पौषध करशु एम अविलंब जणाववा वर्तमान वापर्यो छे. (७) कोइ कहेशे के "चउदस, आठम, अमावस्या अने पूर्णिमाना दिने प्रतिपूर्ण पौषध करता थका विचरे छे" ए वचनथी ए दिवसोमां तो पोषध कर, सिद्ध थशे पण पर्युषणना दहाडे अठमपोसह केम सिद्ध थशे. तेनु ए उत्तर छे के पौषध एटले शास्त्रमा पर्वदिननुं अनुष्टान कहेल छे, अने पर्युषण पण पर्व छे माटे त्यां पौषध करवू सिद्धज छे. वळी पर्युपणना दहाडे अठम नहि करे तो शास्त्रमा प्रायश्चित्त लखेल छे. तथा निशीथचूर्णिमां एक कथामां लख्युं छे के राजाए राणीयोने कह्यं के तमे अमावस्यानो उपवास करी पडवेना दिने बधां खानपान करी साधुओने उत्तर पारणे वोरावी पारणुं करो. कारण के पजोसणर्नु अठम करवानुं होवाथी पडवेना दिने उत्तर पारणुं थाय छे. इत्यादिक प्रमाणोथी पर्युषणना त्रणे दिन पर्वरूपे प्रसिद्ध छे. माटे त्रणे दिन पौषध कर, घटे छे. पपा छ.
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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