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शतपदी भाषांतर. (४७) विचार ३२ मो.
(उपकरण बाबत.) प्रश्नः कडाइ, टोप तथा नंदीपात्र' वगेरा, अने नेण, सइ, तथा कातर वगेरां उपकरण केम राखो छो?
उत्तर:- कारणे ए उपकरणो पण आगममां राखा कह्यां छे. कारण के कल्पमा कयुं छे के साधुने चौद अने साध्वीने 4चीश ते औधिक उपकरण छे, बाकी औपग्रहिक तो बनेने संथा. रपटक वगेरा अनेक प्रकारे छे.
आचारांगटीकामां तिलोदग तुसोदगना प्रसंगमा टोप तथा कडाइ कहेल छे.
निशीथचूर्णि तथा व्यवहारमा नंदिपात्र, विपात्र', कमठक, विमात्रक', तथा प्रस्रवणमात्रक राखवां कह्यां छे.
वृहत्कल्पभाष्यमां जघन्य, मध्यम, तथा उत्कृष्ट औपग्रहिक उपधि नीचे मुजब लखेली छे.
(१) काष्ट के छाणनुं पीठ, उत्तरपटसहित निषद्या, दंडक, प्रमार्जनी, घडो, कुटमुख', कातर, सूइ, नेण, कर्णशोधनिका, ने दंतशोधनिका, ए जघन्य उपधि जाणवी.
(२) पांचवासत्राण' (वाळजें, सूत्रनु, मूचिकुट, शीर्षक, अने छत्र), पांच चिलिमिणी (वाळनी, सूत्रनी, वागनी, दंडनी, तथा कटकमय), वे संथारा (संथारपट्ट तथा उत्तरपट्ट), पांच दंड (दंड,
१ माटुं. २ पात्रा करतां नानु. ३ मात्रक करतां नानु. ४ बेसवार्नु आसन. ५ सांकडा मुखनो घडो. ६ वरसादथी बचावनार. ७ वाहुप्रमाणवालो ते दंड. ते रिपुनो वध करतां काम लागे छे.