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________________ शतपदी भाषांतर. ( ४३ ) मुवेलाओ पासे पोची केम शके. माटे मुवेलाने उद्देशीने पुत्र जे आप ते तेनी भक्ति देखाय खरी पण कंइ मुवेलाने पहोचे नहि. वळी विचारो के कोइ बाप के वपावो कर्मयोगे मरीने कुंथ के कीडीरूपे जन्म्यो. हवे ते ठेकाणे तेनो पुत्र तेना निमित्ते त्यां पाणी आपे तो शुं उपकार थशे के अपकार ! ते विचारो." ___ आ पिंडदाननी उत्पत्ति माटे आवश्यकचूर्णिमां एवं लख्यु छे के श्रेणिक राजा मरण पामतां कोणिक राजा बहु शोकातुर थयो तेनो शोक टाळवा मंत्रिओए युक्ति रची ते एवी के जूना ताम्रपत्र ऊपर पिंडदाननी विधि कोतरावी राजाने बतावीने का के महाराज आवी रीते पिंडदान करभु तो राजानो निस्तार थशे. त्यारथी पिंडदान चालवा लाग्यं. (५) कोइ कहे के श्रावकोए पोते श्राद्ध संवछरी न करवां, पण बीजाए करेल श्राद्ध संवछरीमा जमतां शो दोष छ ? तेनुं ए उत्तर छे के जेम गौरीभक्त, गणेशना मोदक, भट्टारिकानुं नेवद, अनंतत्रतर्नु भोजन, कन्जलीनुं भोजन, दूबळी आठम वछबारश तथा शिवरातनां भोजन, संडविवाहतुं भोजन, सोमेश्वरनी यात्रा माटेर्नु देव भोजन, यज्ञर्नु भोजन, महानवमी वगेरानां लाणां, त. लाव वगेराना भर्यानुं भोजन, खेतरपाळy भोजन, उत्तरायणर्नु भोजन, अने कृष्णरात्रिनुं भोजन वगेरां भोजनो मिथ्यात्वना स्थिरीकारनां कारण होवाथी परिहरवा लायक छ तेम श्राद्ध संवच्छरीनुं भोजन पण परिहर, जोइये. इहां याद राखg जोइये के मुनिओ भिक्षाचारी होवाथी तेओ एवां भोजन ल्ये तो तेमने स्थिरीकारनो दोष थतो नथी. माटे तेमने ते कल्पे. तेथीज हरिकेशिवलमुनिए, जयघोषमुनिए, तथा विजयघोषमुनिए यज्ञमांथी आहार वोर्यो छे. तथा नदिषेणना
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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