________________
( ३६) शतपदी भाषातर. अने मुंदरी ए बे जणी तेने समजाववा मोकलावी, ते केम ? तेनुं ए उत्तर छे के इहां जे बे मोकलावी एम कह्यु छ ते स्वामिपणानी अपेक्षाथी कडं छे, कंइ परिवारनो अभाव बताववा नथी कडं. केमके त्रण लाख साध्वीयोनी धणीआणी ब्राह्मी अने मुंदरी परिवारराहत मात्र बेज जणी जाय ए केम घटे? माटे जेम तीर्थकर, गणधर, के मूरि समोसर्या, राजा नीकळ्यो, के अमात्य आव्यो के महत्तरा वी एवं कहेतां त्यां परिवार नहि कह्या छतां पण परिवार आवी शके छ तेम इहां पण जाणवू.
(६) वळी वसुदेवहिडिमां तो खुल्लं कर्तुं छे के बाहुबळिने प्रतिबोधी कार्य सिद्ध करी सपरिवार ब्राह्मी तीर्थकर पासे आवी. माटे इहां जेम प्रतिबोधीने पाछी आवतां सपरिवार लखी छे तेम जतां पण सपरिवारज लाभे छे. .
(७) कोइ पूछे के त्यारे वसुदेवहिडिमां विमलामा अने मुप्रभा नामे वे साध्वीयो अंतेउरमां केम गएली लखी छे तेनु ए उत्तर छे के ए बे साध्वीयो पूर्वभवे सौधर्मेंद्रनी इंद्राणी हती त्यांथी चवी राजकुमरी थइने जातिस्मरण पामी बाळपणमांज असं. तसंवेग पामी साध्वीयो थइ छे. माटे तेमनो परिवार अवश्य होवोज जोइये. पण कदाच कारणवशे परिवार बाहेर मूंकी ते बे जणीओ अंतेउरमां पेठी होय अथवा परिवार साथे अंदर पेशी पछी परिवारने बाहेर मोकली पोते बे जणी त्यां रही होय तो ए रीते बे साध्वीयो पण रही घटी शके छे. पण तेटला आलंबनथी कंइ बे जणीनो विहार सिद्ध थइ शके नहि. कारण के का. रणना वशे तो कदाचित् एकली पण साध्वी थइ जाय तो कारणे बे थाय तो तेमां शुं कहेवार्नु छ ?
(८) कोई कहेशे के बृहत्कल्पमां कडं छे के एकली साध्वीने