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शतपदी भाषांतर.
विचार १९ मो.
प्रश्नः - चंचल एटले हीलता चालता पाटीआ वगेरनो अवष्टंभ केम ल्यो छो ?
( १६ )
उत्तरः- ज्ञातासूत्रना पांचमा अध्ययननी टीकामां पीठफलकशयासंस्तारकपदोनी व्याख्यामां फलक अवष्टंभ माटे कहेल छे. तथा कल्पपीठमां सुतर तथा ऊनना अवष्टंभ पण साधुना माटे कहेल छे. +91
विचार २० मो. ( मुख वस्त्रिका . )
प्रश्नः - बीजा बधा यतिओ श्रावकोने मुखवत्रिका रखावी वांदणा देवरावे छे, छतां तमे मुखवत्रिका केम नथी रखावता ? उत्तरः- आगममां ठेकाणे ठेकाणे वस्त्रांचळथीज श्रावको वांदणा करता देखाय छे। अने क्यां पण मुखवस्त्रिकावडे वांदगा करता कह्या नथी.
जुओ आवश्यकचूर्णिमां श्रीकृष्ण महाराजे अढार हजार साधु द्वादशावर्त्तवांदणाथी वांद्या त्यां मुखवस्त्रिकानी बाबत जणाती नथी. तथा आर्यरक्षितसूरिना संबंधां ढढरश्रावकनी वात आवश्यकचूर्णिमां छे त्यां पण मुखवत्रिका देखाती नथी. इहां कोई कहेशे के इहां जेम मुखवत्रिका नथी कही तेम वस्त्रांचळ पणक्यांक छे! त्यां ए उत्तर छे के उत्तरासंगवडे साधुना अपाश्रयमां प्रवेश कर्यो छे अने ते मूकवानुं के मुखवस्त्रिका ग्रहण करवानुं कां नथी माटे उत्तरासंग कायमज लागे छे.
वळी वसुदेवहिडिमां शिवकुमारनी वातना पेटामां राजाए