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शतपदी भाषांतर. (१३ ) तुथी मौन रह्या छे. माटे अनुमात नथी आपी.
वळी कोइ कहेशे के भद्रबाहुस्वामिए ए द्रव्यस्तव श्रावकने युक्त छे एम कहेतां अनुमत कर्यो, तो तेणे जाणवू जोइए के ए प्रज्ञापनी भाषा छे. कारण के दरेक करवानी वस्तु ज्ञानिए कह्याथीज मालम पडे छे पण तेटलावडे कंइ तेनी अनुमति के कारापण सिद्ध थतां नथी. ___वळी जो त्रिविधे त्रिविधे प्रत्याख्यान करनार साधुओनी पण द्रव्यस्तवमां अनुमति अने कारापण सिद्ध करो छो तो त्रिविधे त्रिविधे सामायिक करनार श्रावको शा सारूं पूजादिक नथी करावता.
विचार १४ मो. प्रश्न:-तमारा यतिओ दररोज चैत्यमां केम नथी जता ?
उत्तरः-आगममा यतिओने व्याख्यान देवा वगेरा विशेष कारण विना पर्वदिवसमांज चैत्यमां जदूं कहेल छे जे माटे व्यवहारचूर्णिमां लखेलुं छे के आचार्ये कुळ के गच्छना अनेक प्रकारना कार्योमां वसतिथी बाहेर नीकलवु अने पाक्षिकादिक पर्वोमां चैत्यवंदन करवा अवश्य नीकलq.
कोइ कहेशे के इहां अवश्य जq एम कहेल होवाथी ए अर्थ नीकळे छे के पर्वोमा अवश्य जq अने अन्यदा अनियम छे. पण तेम नथी, कारण के इहां वसतिथी आचार्य बाहेर नीकलवामां. बे कारण बताव्यां छे. एक कुळगणादिकनां कार्य, अने बीजं पदिने चैत्योमां जq. त्यां पहेलं कारण अनियमित छे अने पर्वदिने चैत्यमां जq नियत छे तेने आश्री अवश्य पद कहेल छे..