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शतपदी भाषांतर. (११) ग्रहण करेला चैत्यमां कदाच बळि पण थती होय तोपण तेनुं शी रीते आलंबन लेवाय ? ___ वळी निशीथचूर्णिमां रथयात्रामां फूल, फळ, तथा पकानादिक- उरिकरण लख्युं छे ते उरिकरण एटले फलादिकनां लाणां व्याख्यान काँ छे.
. विचार ९ मो. प्रश्न:-ओघनियुक्तिमा एक गांठवाळो दांडो लखेल छ माटे साधुने वंशनोज दांडो कल्पे के केम? __उत्तर-वंशनोज दांडो कल्पे एवो नियम नथी; कारण के निशीथचूर्णिमा वंश, नेतर, तथा बीजा लाकडानो पण दांडो लखेल छे. अने तेमां जे वंशनो दांडो कह्यो छे ते एक गांठवाळो लेवो.
. विचार १० मो. प्रश्नः-साही- पात्र, लेखण, पुस्तकना वींधमां नाखवानो दोरो तथा खीलो, अने पोंजणी ए यतिने राखवां कल्पे के नहि ? तथा पुष्पादिकथी पुस्तक पूजवू क्या कह्यु छे ?
उत्तरः-पुस्तक राखवार्नु होवाथी तेनो परिकर साथेज आवे छे केमके शाश्वता पुस्तकना पाठमां साहीन पात्र तथा लेखण अने दोरो लीधेलां छे. अने दोरो लेवाथी खीलो पण आवी जाय छे. अने आगळ लख्यु छ के पोजणीथी पुस्तकने सूर्याभदेवताए पोंज्युं अने पुष्पादिकथी पूज्यु तेथी पोजणी आवे छे. तेमज पुष्पादिकथी पुस्तक पूजाय ते पण वात सिद्ध थाय छे.