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(८) शतपदी भाषांतर. रता. जो पूजा करता होय तो तो स्थाळवगेरामा ढगलो करीने ते चडावां जोइए, पण तेम नथी कर्यु.
वळी जेम त्यां वृष्टि करे छे तेमज ते चीजो अरसपरस वेंहेचवानुं पण कहेल छे. माटे जो पूजामां चडावेल होय तो केम वेहेंची शकाय?
अने ए देवकृत वृष्टि तथा वेंहेंचणना अनुसारे आजे पण रथयात्राना महोत्सवनो महिमा सूचववा पत्र, पुष्प, फळ, अक्षत, तथा मीठाइमेवानी वृष्टि अने हेचण श्रावको करे छे.
विचार ७ मो. प्रश्नः-पत्रपूजा तमे मानो छो ते कया अक्षरथी ?
उत्तर:-फूलोनी साथे पत्र पण लीधेल छे. केमके जंबूदीवपन्नत्तिमा फूलना नामोमां पत्रदमनक पद आवे छे तेनो मळ्यगिरि आचार्य एवो अर्थ को छे के पत्रसहित जे दमनक ते पत्रदमनक. ___ वळी केटलाक तो वर्णारोहण एटले पांचवर्णा फूलनी रचना करवी तेना अंदर पत्र गणे छे, . लोकमां पण मरुवानां पान फूळमध्येज चाले छे.
ON विचार ८ मो.
(बळि पूजा.) प्रश्नः-वृहत्कल्पनी नियुक्तिमां लख्युं छे के तीर्थंकर लिंग तथा प्रवचने करी बीजा साधुओना साधर्मी नथी तेथी तीर्थंकर माटे जे करेलुं होय ते यतिने कल्पे, त्यारे प्रतिमा तो अजीव छे