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( १६८ )
शतपदी भाषांतर.
दाखला तरीके पाणीमां माछलां तथा काचवाना अवयवो होय छे, दूध वाउरडाए एवं करेल होय छे, फूलो भमराओए चूसेला होय छे, शाक रसोइयाए चाखी एवं करेल होय छे, घी मांसमदिरा वापरनार भरवाड, भील, कोळी वगेराना हाथनुं अने घणा दिवसना सडेला माखणमांथी नीपजावेल होय छे, तेल पण घं करीने जीवजंतुवाळा तलमां अणगळपाणी नाखी कहाडेल होय छे, वेचतां दहिदूध पण अणगळ पाणीवाळांज होय छे, खजूरमां पण नोडकोए (नोधा सीधीओए) खाइने कुळियां नाखेल होय छे, हिंग पण काचा चर्ममां बांधेल होय छे, लूणमां अनेक जीवना कलेवर भळेला होय छे, तथा शाक, पत्र, फूल, फळ, मशाला, धान अने मीठाइमेवा पण मांसमदिरा खाऊना हाथना स्पfet अपवित्र थला होय छे.
माटे पवित्रता के अपवित्रता लोकाचार तथा देशाचार ऊपरथीज लेखत्री जोइये. ए बाबतना थोडाक दाखला टांकीये छीये. (१) शंख, छीप, मोती, चामर, दांत, कस्तूरी वगेरा जीवांग छतां पवित्र गणाय छे.
(२) धनुष, बाण, सींगडी, म्यानानी दंडिका, श्रीकरी ( पालखी), तरवारनुं म्यान, सूप, सुंडा, पगरखां, गादी, वायराना वींजणा, तथा चोपडीओ वगेरा चामडाथी जडेल छतi पवित्र गणाय छे.
(३) वाजां काचा चामडाथी मडेल छतां पवित्र लेखाय छे. (४) धूपमां नख तथा चरबी भेळवातां छतां पवित्र गणाय छे. (५) कपडां पेणवाळां छतां पवित्र गणाय छे.
(६) नदी तळाव वगेरामां लोको हाथपग धूए छे, स्नान करे छे, कोळा नाखे छे, तथा पशुपंखी वटाल करे छे, तथा तेना