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( १३८) शतपदी भाषांतर. दाखला नीचे आपीये छीये. (१) एक चैसवास करे छे बीजा वसतिवास करे छे. (२) एक "हवइमंगळं" कहे छे वीजा "होइमंगलं" कहे छे. (३) चैत्यवंदनमा एक "नमः श्रीवर्द्धमानाय, नमस्तीर्थकरेभ्यः,
नमः प्रवचनाय, नमः सिद्धेभ्यः," एम चार पद कहे छे बीजा “नमः सिद्धेभ्यः" ए एकज पद कहे छे; त्रीजा एक
पण नथी कहेता. (४) एक नवकार वगेराना उपधान माने छेबीजा नथी मानता. (५) एक पोताना हाथे माळारोपण माने छे बीजा परने हाथे
माने छे; (त्रीजा मुद्दल मथी मानता.) (६) पडिकमणामां एक "आयरियउवज्झाए" इसादि गाथा___ओ कहे छे बीजा नथी कहेता. (७) इहां पुस्तकमा ओली पड़ी गई छे माटे आ वे कलम पु(८) स्तकारथी जाणी लेवी. (९) एक, साध्वीनो पेहेलो लोच गुरु करे एम माने छे; वीजा
गुरुणी करे एम माने छे. (१०) एक पंचामृतनुं स्नान माने छे; बीजा गंधोदकनु स्नान माने छे. (११) एक, श्रावकोने शिखाबंध करवो तथा कळशाभिमंत्र क
रखो माने छे बीजा नथी मानता. (१२) एक छत्र तथा प्रतिमा रथमां फेरवे छे, दिग्पाळ पूजे छे, - तथा बळि उडावे छे बीजा कंई पण नथी करता. (१३) एक दरेक पचखाणमां “वोसिरामि" कहे छे, बीजा बधा
__ पचखाणना अंते “वोसिरामि" कहे छे. (१४) एक "विगईओ पच्चक्खामि" कहे छे, बीजा “विगईओ
सेसियाओ पच्चक्खामि" एम कहे छे.