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________________ का गया. शतपदी भाषांतर. ( १९३) महारविधुर युगबाहुने मदनरेखाए नवकार आप्याथी ते पांचमा देवलोके गयो. ___ जंबूखामिना पिता ऋषभदत्ते पोताना लघुभाइ जिनदासने नवकार वगेरा क्रिया कराव्याथी ते जंबूद्वीपनो अधिपति अणाढिओ नामे देवता थयो छे. तिर्यंचोमां पण केटलाएकने महर्षिओए अने केटलाएकने श्रावकोए, पर्यंतक्रिया करावतां तथा केटलाके जातिस्मरणना योगे पोते पर्यंतक्रिया करतां नमस्कारना मभावे देवपणुं तथा बोघिबीज मळ्यां छे. . दाखला तरीके पार्श्वनाथनो जीव हाथी, मुनिसुव्रतस्वामि प्रतिबोधित अश्व, सोदासबो जीव मेंडो, सहदेवीनो जीव वाघण, वैतरणीनो जीव वानर, भद्रकमाहिष, केवळ संबळ नामे बे बळद, श्रेष्टिपुत्रनो जीव मत्स्य,नंदमणियारनो जीव देडको, क्षुल्लकनो जीव शुक, बीजा क्षुल्लकनो जीव पाडो, चंडकौशिक सर्प, भरुचनी शकुनिका, सेडुकनो जीव देडको, त्रिविक्रमभट्टनो बोकडो, कमठनी पंचाग्निमां बळतो सर्प, कूरगडुकना पूर्वला भवे तेनो जीव दृष्टिविष सर्प, प्रद्युम्ननी मातानो जीव कूतरी, चारुदत्ते आराधना करावेल बोकडो, सिंहसेनराजानो जीव हाथी, इसादि अनेक उदाहरणोमां उपधान विना पण आराधकपणुं देखाय छे. वळी सूत्र, नियुक्ति, भाष्य, चूणि, टीका, तथा टिप्पनक वगेरा वर्तमान आगमग्रंथोमां क्यां पण उपधाननी विधि बतावी नथी माटे ते केम कराय? ___ वळी आजकाळ छ उपधान वेहेरावाय छे:-पंचमंगळमहाश्रुतस्कंधना, ईर्यापथश्रुतस्कंधना, शक्रस्तवना, अरिहंतचेइयाणं इसादि दंडकना, चोवीसत्थाना, अने पुक्खरवरदीवढे इत्यादिना. पण
SR No.022231
Book TitleShatpadi Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMahendrasinhsuri
PublisherRavji Devraj Shravak
Publication Year1895
Total Pages248
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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