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शतपदी भाषांतर.
( ८७ ) Taai नहि जाये. कारण के निशीथचूर्णिमां कहां छे के अवग्रहथी बाहेर रहेती चीज वोसरेली गणाय, अने वोसरेली चीज धारण करतां दोष प्राप्त थाय छे. वळी रजोहरण माटे तो एम छे जे ते एक हाथनी अंदरज राखबुं. कारण के कीडी, मंकोडा, वगेरे करडतां एक हाथथी दूर राखेल रजोहरण तरत हाथमां ना आवे तेथी वगर प्रमार्जे खरज करतां जीवविराधना थाय तथा वीछी के सर्प वगेरा शरीरपर चडतां ज्यां लगी रजोहरण ऊपाडवा जाय त्यां लगी दंशीले तेथी आत्मविराधना थाय.
अपवादपदे ग्लान होतां, ग्लाननुं उद्वर्त्तनादि करतां, अग्निना संभ्रममां, अशिवादि कारणे परायुं लिंग ग्रहण करतां इत्यादि कारणे जे चीज वोसरेली होय ते पण पाछी धारी शकाय छे. तेथी ए कारणे दूर राखी शकाय ते वगर ए उपकरणों दूर. रा. खवां नाह जोइये.
(३) रजोहरण एक हाथनुं करवुं. कारण के ओघवात्तमां नीचे मुजब रजोहरण करवानुं कहेल छे,
मूळमां निविड कर, बच्चे स्थिर करवुं, पर्यंते सुंआलं करयुं, एकांगिक एटले एक कटकावाळी दसीओ करवी. दसीओ तथा airni गांठो नहि करवी. दसीओ ज्यां वींटाय ते ठेकाणे अंगुठा तथा प्रदेशिनी आंगळमां समाय एवं करनुं, बीटणुं मजबूत कर, अने प्रमाणमां एक हाथनुं ऊंचु तथा पहोळु करवुं.
(४) वळी रजोहरणमां सूक्ष्म दसीओ नहि करवी. कारण के निशीथचूर्णिमां लख्युं छे के सूक्ष्म दसीओ गुंचाई जतां ते निमित्तथी साधुओ अनाचारी अने दुर्बळ थाय.
(५) रजोहरण बांधवानी विधि एवी छे के दंडना त्रीजा भाग ऊपर सरखा दोरावडे रजोहरण बांध तेमां फेरफार करे तो