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शतपदी भाषांतर.
विचार ६९ मो.
मश्नः - ज्यारे हाथ पग धोवानो निषेध करो छो त्यारे वर्षादमां पगमां कादव लागे त्यारे केम करवुं ?
( ८६ )
उत्तरः- वर्षादमां ज्यारे पगोमां कादव लागे त्यारे पादलेखानेकावडे ऊतार पण पग पखाळवां नहि. तेना पुरावा नीचे मुजब छे. १ निशीथचूर्णिमां कां छे के साधुओ वर्षादमां पग नथी धोता, पादलेखानेकार्थी लूछे छे.
२ ओघनियुक्तिमा क छे के शेषकाळमां रजोहरणथी पग पोंजवा, पण वर्षादमां पादलेखनिका वापरवी. ते वड, उंबर के पीपरनी करवी, कदाच ते न मळे तो आंवळीनी करवी. ते बार आंगल लांबी, एक आंगळ पोली, बे छेडे नख जेवा आकारवाळी अने सफाइदार होवी जोइये. तेवी पादलेखनिका दरेक मुनिए जूदी जूदी राखवी.
३ पंचकल्पचूर्णिमां लख्युं छे के चीखळ लूछवा अर्थे पादलेखनिका रखाय छे ते रजोहरण के निषद्या साथे बांधीने राखवी.
विचार ७० मो.
प्रश्नः - यतिओने एकांगिक एटले एक कटकावाळी दसीवाळुंज रजोहरण कल्पे के केम ?
उत्तरः- (१) उत्सर्गे एकांगिकज कल्पे पण अपवादे अने कांगिक तथा असंबद्धदशी ओवाळु पण लेवाय, एम निशीथचूर्णिमां खुल्लुं कथुं छे.
(२) वळी रजोहरण, मोंपती, तथा पोंछणुं पोताथी बहु छेटे