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________________ दोष है ? शुभ परिणाम की आशा हो, तो अनुकूलता होने पर पासत्थादि से भी मर्यादित मिलना, बातचीत करना और समझाना अनुचित नहीं है। किन्तु शुभ परिणाम की संभावना नहीं हो तो व्यर्थ है। ___ इस प्रकरण पर विचार करते हैं, तो लगता है कि आज की परिस्थिति भी वैसी बनती जा रही है और मिथ्या प्रचार में तो उससे भी विशेष बढ़ी हुई लगती है । वर्तमान में प्रेस के साधन से मिथ्यात्व और अविरति का प्रचार महावीर के वेशधारी बढ़चढ़कर कर रहे हैं। कोई स्वच्छन्द होकर अंट-संट लिख रहे हैं और सूत्र के अनुवाद के माध्यम से अपना मिथ्यात्व और अनाचार प्रसारित कर रहे हैं। दुराचार भी वृद्धि पर है । ऐसे विकट समय में इस प्रकरण को सम्यग् विचार पूर्वक ग्रहण करने पर शुभ परिणाम होना संभव है । आशा है कि यह प्रकरण निग्रंथ संस्कृति के प्रेमियों के लिए ज्ञान वर्द्धक होगा । || जैनं जयति शासनम् ।। समाप्त 149
SR No.022221
Book TitleVandaniya Avandaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Jayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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