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________________ लोक में भावुक (संसर्ग से परिवर्तन स्वभाव वाले) और अभावुक (संसर्ग से प्रभावित नहीं होने वाले) ये दो प्रकार के द्रव्य हैं । उनमें से वैडूर्यमणि, अभावुक स्वभाव वाला है । वह अन्य द्रव्य के संसर्ग से प्रभावित नहीं होता ।।१०७।। [पंचव स्तुक गाथा ७३४] किन्तु अनादि अनंत ऐसा जीव तो भावना से प्रभावित होने वाला है । इसलिए मेलन-संसर्ग दोष के प्रभाव से वह जीव, शीघ्र ही प्रभावित हो जाता है ।।१०८।। [पंचस्तुक गाथा ७३५] __जिस प्रकार नदी का मीठा जल, समुद्र के खारे पानी में मिलने पर नमक जैसा खारापन प्रास कर लेता है, उसी प्रकार सुशीलवंत भी कुशीलियों के संसर्ग दोष के प्रभाव से निश्चय ही गुणहीनता को प्राप्त करता है, उसके गुण नष्ट होते हैं ।।१०९-११०।। संसार में दोनों प्रकार की वस्तुएं हैं। मगशेलिया पत्थर में पानी नहीं रँजता, किन्तु मिट्टी में रैंज जाता है और मिट्टी को भेदकर अपने साथ बहा ले जाता है । घृत व पारद में पानी नहीं मिलता, परंतु दूध में मिल जाता है । सोने के जंग नहीं लगता, परंतु लोहे को तो लगता है । इसी प्रकार यथाख्यात चारित्री को छोड़कर क्षायोपशमिक भाव वाले मनुष्यों-साधुओं में संसर्ग का प्रभाव होना सर्वथा संभव एवं शक्य है । इसीलिए तो आगमों में गृहस्थ का संसर्ग त्यागने और विविक्तशयनासन आदि नियम बनाये हैं। ___अन्य जड़ वस्तुओं की अपेक्षा जीवों में संगति का दोष बड़ी सरलता से आ सकता है । हमारे धर्म-प्रिय भारत में ही देखिए, वेशभूषा में कितना परिवर्तन आया ? पगड़ी गयी और टोपी - 99
SR No.022221
Book TitleVandaniya Avandaniya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Jayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages172
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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