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________________ (808) ओनी पूजा आदि सर्व कार्य, अने वायुकुमार, मेघकुमार आदि देवसंबंधी संमार्जन जलवृष्टि आदि दरेक कार्यों मंत्रोचार - मंत्रस्मरणपूर्वक ज अवश्य करवा. " स्पष्टीकरण " जिनप्रतिमा शुभ मुहूर्त्तमां स्थापवा पहेला विघ्नविनाशार्थे, धर्मकार्य समाप्यर्थे अने औचित्यता पालनार्थे अवश्य मंत्रादि संस्कारद्वारा दश दिग्पालो, लोकपालो, नवग्रहो आदि देवताओनुं आह्वान करवुं, तेओने मंत्रोच्चार साथे बलिबाकूल अर्पवा, तेओनी पूजा करवी अने ते ते देवसंबंधी जे जे कार्यो होय ते ते कार्य परत्वे संकल्पथी ओनो विनियोग करवो. तेमज कल्याणक समये जेम वायुकुमार अने मेघकुमार नामक देवताओ आवी भूमिशोधन तथा सुगंधी जलवृष्टि करे छे तेम अहीं भाविकोए मंदिरनी आसपास भूमिशोधनरूप कार्य तेमज सुगंधमिश्रित जलवृष्टि अवश्य मंत्रोच्चार सह करवी. वळी अन्य देवताओनी स्थापना पण मंत्रादि क्रियाद्वारा करवी. अहीं सर्वत्र मंत्रोनुं स्मरण तथा विविध क्रियाओ पूर्वाचार्यनी परंपराथी उतरी आवेल रीतिए कर, एटले आ सर्व विधान प्रतिष्ठाकल्प ग्रंथमां तेमज प्रतिष्ठाविधिमां विस्तृतरूपे दर्शावेल छे ते प्रमाणे अने ते विधिना ज्ञाता समीपे तेनुं समुचित ज्ञान कर्या पछी २६
SR No.022219
Book TitleShodashak Granth Vivaran
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherKeshavlal Jain
Publication Year
Total Pages430
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size21 MB
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