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(७) जिनविम्बषोडशकम्.
गत षोडशक प्रकरणमां विधिशुद्ध शास्त्रविहित यतनापूर्वक जिनमंदिर बांधवानो विधि दर्शाव्यो, परंतु आ जिनमदिर जिनप्रतिमा वगर इष्टदायी न थाय माटे जिनप्रतिमानी पण तेटली ज आवश्यकता होवाथी अहीं शास्त्रकार श्रा सातमा प्रकरणमा प्रतिमानो अधिकार अने तेनुं विधिशुद्ध शास्त्रोक्त विधान दर्शावे छे. जिनभवने तद्विम्बं,
कारयितव्यं द्रुतं तु बुद्धिमता ॥ साधिष्ठानं ह्येवं
तद्भवनं वृद्धिमत् भवति ॥ ७-१॥ मूलार्थ-ए प्रमाणे विद्धिशुद्ध जिनभवन विषे बुद्धिमाने शीघ्र जिनबिंब करावq-भरावयु, कारण के ते प्रमाणे करवाथी जिनभवन साधिष्ठित थाय, एम थवाथी जा जिनमंदिर निश्चयथी वृद्धिकारक थाय छे. . "प्रतिमा भरावे कोण ?". ___स्पष्टीकरण-जिनभवन माटे शास्त्रकर्ताए जेम विधान दर्शाव्युं तेम त्यां बीराजवा योग्य जिनप्रतिमार्नु पण विधान दर्शाव्यु छ, अर्थात् विदिशुद्ध निर्दोष जिनाज्ञा प्रमाणे प्रशठभावथी कारीगरो पासे जिनप्रतिमा करावी. त्यां प्रतिमा करावनार