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प्रस्तावना. करतां अनुक्रमे टीकट खेवाय ने, तेवी रीते आशातनारूपी पोलीसनो जय अंतःकरणमां धारण करी एक बीजाने विघ्न न थाय तेवी रीते पूजनादि करवामां आवेतोज अविवेक दूर थतां. अजय, अष अने अखेद ए गुणोनुं उत्तम प्रकारे रक्षण यश शके, अर्थात् ए गुणो नक्ति पूजनादिमां बन्या बन्या रहे.
श्री जबाइ सूत्रमा कह्यु बे के श्री जिनेश्वर भगवंतनी प्रतिमा जिनेश्वर नगवंत समान , आप्रमाणे सिद्धांतमां आपणे निरंतर श्रवण करीए अने तेवी ज आपणने श्रद्धा ने, एवी अंतःकरणमां धारणापण राखीए बतां वर्त्तनना संबंधमां, जिनेश्वर लगवंत सादात् आपण। सन्मुख बिराजमान होय तेवे प्रसंगे नक्ति पूजन प्रमुखना संबंधमां वर्त्तन राखवामां आवे तेने केटले अंशे जिनेश्वर नगवंतनी प्रतिमानी सन्मुख आपणे नक्ति पूजनादिना संबंधमां वर्त्तन राखीए जीए, ते बाबत दरेक सुझ मनुष्ये शांतिथी विचार करवो जोइए अने विचार करतां एम लागे के, आपण वर्तमान कालनी नक्ति पूजनादि संबंधी पचति श्रीजिनेश्वर जंगवतनी प्रतिमानी सन्मुख, शास्त्रना कथनानुसार नथी तेने सुधारी उत्तम प्रकारनी करवानो प्रयत्न करवो जोइए. __नाषान्तर करवामां कग्निस्थले शास्त्री नर्मदाशंकर दामोदरे मदद आपी ने तेनो उपकारमानुं बुं अने नाषान्तर करवामां मतिदोषथी जूल थइ होय तो माफी मागुं वं.
ली नाषान्तर कर्ता