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________________ (६२३) यह पञ्चखान मुख्यतः तो दिन रहते हुए ही करना चाहिये. परन्तु दूसरी प्रकारसे रात्रिमें करे तो भी चल सकता है. शंकाः--दिवसचरिम पच्चखान निष्फल है. कारण कि, उसका एकाशनआदि पच्चखानमें समावेश हो जाता है. समाधान:-ऐसा नहीं, एकाशनआदि पञ्चखानके आठ आगार हैं, और दिवसचरिमके चार आगार हैं. इसलिये आगार का संक्षेप यही दिवसचरिममें विशेष है जिससे वह सफल है, और वह दिन बाकी रहते करनेका है, तथा रात्रिभोजन पच्चखानका स्मरण करानेवाला है, इसलिये रात्रिभोजनपच्चखानवालेको भी वह फलदायी है. ऐसा आवश्यकलघुवृत्तिमें कहा है. यह पच्चखान सुखसाध्य तथा बहुत फलदायक है. इस पर एक दृष्टान्त कहते हैं कि दशार्णनगरमें एक श्राविका संध्यासमय भोजन करके प्रतिदिन दिवसचरिम प्रत्याख्यान पालती थी. उसका पति मिथ्यादृष्टि था. वह " संध्याको जीमनेके बाद रात्रिको कोई कुछ खाता ही नहीं है. इसलिये यह (दिवसचरिम ) बडा पञ्चखान करती है." इस प्रकार उक्त श्राविकाकी नित्य हंसी किया करता था. एकसमय श्राविकाके बहुत मना करते हुए उसने भी हठसे दिवसचरिम प्रत्याख्यान किया. रात्रि में सम्यगदृष्टि देवी परीक्षा करने तथा शिक्षा देनेके लिये उसकी बहिनका रूप कर उसे घेवर ( मिठाई विशेष ) आदि देने लगा. श्राविका
SR No.022197
Book TitleShraddh Vidhi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatnashekharsuri
PublisherJain Bandhu Printing Press
Publication Year1930
Total Pages820
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size14 MB
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