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जान लेना चाहिये । सब वाद्योंके भेद उनपचासजातिके वाद्योंमें समाते हैं । जैसे वंशमें वाली, वेणु, परिली और बन्धूक इनका समावेश होता है । शंख, शृंग शंखिका, खरमुखी, पेया,
और परपरिका ये वाद्य बडे भारी शब्दसे, फंकने पर बजते हैं । पडह और पणव ये दो डंकोंसे बजते हैं। भंभा अरा होरंभा ये दो आस्फालन करनेसे बजते हैं । भेरी, झल्लरी और दुंदुभी ये तीन ठोकनेसे बजते हैं । मुरज, मृदंग, और नांदीमृदंग ये तीन आलाप करनेसे बजते हैं। आलिंग, कुस्तुम्ब, गौमुखी और मर्दल ये चार जोरसे ठोकने पर बजते हैं । विपंची, वीणा, और वल्लकी ये तीन मूर्च्छना करनेसे बजते हैं । भ्रामरी, षड्भ्रामरी और परिवादिनी ये तीन किंचित् हिलानेसे बजते हैं । बब्बीसा सुघोषा और नंदीघोषा ये तीन फिरानेसे बजते हैं। महती, कच्छपी और चित्रवीणा ये तीन कूटनेसे बजते हैं । आमोट झंझा और नकुल ये तीन मरोडनेसे बजते हैं । तूण और तुम्बवीणा ये दो स्पर्श करनेसे बजते हैं । मुकुंद, हुडुक्क और चिच्चिकी ये तीन मूर्च्छना करनेसे बजते हैं । करटी, डिंडिम, किणित और कदंबा ये चार बजानेसे बजते हैं । दर्दरक, दर्दरिका, कुस्तुंब और कलशिका ये चार बहुत पीटनेसे बचते हैं । तल, ताल, और कांस्यताल ये तीनों परस्पर लगनेसे बजते हैं। रिंगिसिका, लत्तिका, मकरिका और शिशुमारिका ये चार घिसनेसे बजते हैं । वंश, वेणु, वाली, पिटली और बंधूक ये पांच फूंकने से बजते हैं।