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________________ * आंशिकमृषात्वं न निग्रहप्रयोजकम् * प्रतिज्ञाय पञ्चाशद्ददानोऽपि नाऽदातृवत्सर्वथा मृषाभाषित्वेन व्यवह्रियते इति प्रकृते तथाविधव्यवहारानुरोधान्नानुपपत्तिः । २२७ ननु 'शतं दास्यामि' इति प्रतिज्ञाय 'पञ्चाशद्दानेऽमृषाभाषित्वं न वास्तवं व्यवह्रियते किन्तु तत्कार्यकारित्वादिरूपं भाक्तमेव। अ एव तस्य पञ्चाशद्दत्वा 'शतं दत्तं' इति गिरा लोकान् साक्षीकुर्वतो मृषाभाषित्वेनैव निग्रह इति चेत् ? न तत्रांऽऽशिकमृषाभाषित्वमृषात्वस्यानपार्यात्। एवमन्यत्राप्यूह्यम् । अत एवेति कार्त्स्न्येनान्यतररूपानुप्रवेशस्यानभिमतत्वादेवेति । तथाविधव्यवहारानुरोधादिति । आंशिकविपर्ययाविपर्ययपक्षव्यवहारानुसरणादित्यर्थः । नानुपपत्तिरिति न सत्यामृषात्वव्याहतिरित्यर्थः। तत्कार्यकारित्वादिरूपमिति प्रतिज्ञानुसार्यांशिककार्यकारित्वादिरूपमिति । आदिशब्देन सर्वथा प्रतिज्ञाविपर्ययाननुसरणत्वादिग्रहणम् । भाक्तमेवेति गौणमेव न तु मुख्यमित्यर्थः सर्वता प्रतिज्ञानुसरणाभावादिति स्वयमेव गम्यम्। अत एवेति। मुख्यसत्यत्वाभावादेवेत्यर्थः । निग्रह इति । यदि च तस्य मुख्यसत्यभाषित्वं स्यात्तदा मृषाभाषित्वेन पराभवो न स्यात् मुख्यसत्यभाषित्वस्य मृषाभाषित्वाभावव्याप्यत्वादिति प्रसङ्गः । ततश्च व्यापकाभावेनैव व्याप्याभावस्य मुख्यसत्यभाषित्वाभावरूपस्य सिद्धेर्भाक्तसत्यभाषित्वं तदविरुद्धं तत्र स्यादिति 'फक्किकार्थः । अदत्तापलापद्वारेति। शेषाऽदत्तपञ्चाशद्रूप्यकनिह्नवद्वारेति । अयं भावः तत्रांशिकसत्यभाषित्वं मुख्यमेव न तु गौणम्। अत आंशिकमृषाभाषित्वस्य सत्त्वेऽपि मृषाभाषित्वेन निग्रहो न भवितुमर्हति तत्प्रतिपक्षस्य तत्र सत्त्वात् । यदा शेषादत्तधनस्यापलापः 'शतं दत्तमित्यनेन क्रियते तदांऽऽशिकमृषाभाषित्वं लब्धव्यापारं निग्रहाय प्रभवति घातिकर्मप्रकृतिसान्निध्यलब्धसामर्थ्याया अघातिप्रकृतेरिव । परं नैतावतांऽऽशिकमृषाभाषित्वे निग्रहकारणत्वं सिध्यति निर्व्यापारस्य तस्याऽप्रभविष्णुत्वात् न वा तत्रांऽऽशिकमुख्यसत्यत्वाभावः अदत्तानपलापदशायां निग्रहाभावात् । एक अंश में भी असत्यत्व है इसलिए संपूर्ण भाषा असत्य ही है या एक अंश में सत्यत्व है इसलिए संपूर्ण भाषा असत्य ही है या एक अंश में सत्यत्व है इसलिए संपूर्ण भाषा सत्य ही है। एक अंश में असत्यत्व होने पर भी यह भाषा मृषा नहीं कही जाती है। इसलिए तो लोक में भी यह देखा जाता है कि 'मैं तुझे कल १०० रूपए दूँगा' ऐसा कह कर पचास रूपए देने पर भी 'वह मृषावादी है' ऐसा व्यवहार नहीं होता है जैसा कि एक भी रूपैया न देनेवाले पुरुष में 'यह मृषावादी है' ऐसा व्यवहार होता है। अतः प्रकृत में उत्पन्नमिश्रित भाषा को भी लोगों के वैसे व्यवहार का अनुसरण कर के, सत्यासत्य भाषा कहने में कोई दोष नहीं है। शंका :- ननु. इति। 'मैं कल १०० रूपए दूँगा' एसा कह कर दूसरे दिन पच्चास रूपए देने पर दातार = अल्पर्द्धि मृषावादी नहीं है मगर सत्यवादी है - ऐसा जो व्यवहार होता है वह दातार में मुख्य सत्यभाषित्व है इसकी वजह से नहीं मगर अपने वचन के अनुसार कथंचित् कार्य करना इत्यादि रूप गौण सत्यवक्तृत्व की वजह से होता है। दातार में प्रधान सत्यवक्तृत्व नहीं है। अत एव वह दातार पच्चास रूपए दे कर लोगों को साक्षी रूप से इकट्ठा कर के कहता है कि 'मैंने १०० रूपये दे दिये हैं- तब लोग साक्षी देने की बात तो दूर रही मगर दातार को ही पकड़ लेंगे कि- 'तुम ही मृषाभाषी हो। तुमने १०० रूपए दिये ही कहाँ है?' यदि दातार में मुख्य सत्यभाषित्व हो, तब 'यही मृषाभाषी है।' ऐसा निग्रह कैसे हो सकता ? मगर वैसा निग्रह होता है । उसीसे यह सिद्ध हो जाता है कि दातार में प्रधान सत्यवक्तृत्व नहीं है। हाँ, गौण सत्यवक्तृत्व हो तब कोई दोष नहीं है, क्योंकि गौण सत्यवक्तृत्व तो औपचारिक हो सकता है जो कि हमने अभी बताया है। * मिश्रभाषा में सत्यत्व औपचारिक नहीं है * समाधान :- न. तत्र. इति । क्या तुम्हारी अकल चरने गई है? इतना भी आप समझ नहीं सकते हैं कि उपर्युक्त भाषा में आंशिक मृषात्व है और उस दातार में आंशिक मृषाभाषित्व है वह स्वरूपतः निग्रह का कारण नहीं होता है मगर जब दातार 'मैंने १०० रूपए दे दिये। अब मुझे कुछ देना नहीं है। हिसाब खतम हो गया साफ हो गया' इस तरह जब शेष पन्नास रूपए को, जो दातार ने नहीं दिये हैं मगर भविष्य काल में देने शेष हैं, देने का अपलाप करता है तब उसका आंशिक मृषाभाषित्व निग्रह का प्रयोजक बनता है। अर्थात् आंशिक मृषाभाषित्व स्वरूपतः निग्रह का कारण नहीं है, मगर अदत्त धन के अपलाप द्वारा निग्रह का १. 'मृषाभाषित्वं' इति मुद्रितप्रतौ पाठोऽशुद्धः । २. तत्त्वनिर्णयार्थं पूर्वपक्षः फक्किका । दृश्यतां पदार्थलक्षणसंग्रहः पृ. १४३ ।
SR No.022196
Book TitleBhasha Rahasya
Original Sutra AuthorYashovijay Maharaj
Author
PublisherDivyadarshan Trust
Publication Year2003
Total Pages400
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size17 MB
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