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श्रीसम्यकद्वार.
त्यवंदनकरे एकवारपडिकमणुकरे तेपंचाचार चैत्यवंदनक रे जेबेटंकपडिकमणुंकरे तेने सातवार चैत्यवंदनथायएट हस्थिनिविधि जेदेहरेचैत्यवंदनकरवूं तेपूरुषहोय तेप्रभु जिनेजमणिदिसेज मणिबाजुयेरहिने चैत्यवंदन करे स्त्री होयतेडाबिबाजुएर हिने चैत्यवंदनकरे श्रीतिर्थंकरनगवंत नोमहामोटोप्रसाद होयतो पोतानासाठहाथवेगलारहिने चैत्यवंदन करे जेसा ठहाथथकित्रोछोनवहाथथकिच्प्रधिकते सर्वमध्यमवग्रह मांहि जाणवूं नानुदेहरुंतथाघरनुंदेह रुंहोय त्यांनत्कृष्टाएक हाथ ॥ १ ॥ वेगलांजघन्य प्रर्द्धहा थवेगलांरहिनेचैत्यवंदनकरे ने खजमीवंसंदिठा विधिवत्प रमैश्वरे प्राज्ञोषधोपवासादे रासरणोपमात्युरएम नेक विधिसहित श्रीदेवाधिदेवनिपूजा श्रावकनेकहिछे तंजथा वरपुप्फ ॥१॥ गंध ॥२॥ रकय ॥ ३ ॥ पइवो ॥४॥ फुल || ५ || ध्रुव ॥ ६ ॥ निरपतेहै ॥७॥ नेवजबीहां ऐहिय जिपुया ठहामणिया ॥ १ ॥ वरकउत्तमजातिनाफूल जाइजुइप्रमुखनांफुल|१||गंध के ०||बरासकपूरप्रमुख॥२॥ श्रश्वयके०॥क्षतचोखा || ३ || पइवोके ०||दिवो ||४|| फलक के० ॥ नलिएर प्रमुख ॥ ५ ॥ श्रगरप्रमुखनोधूप॥६॥ निरप तिहके०॥ जलनाभरचाकरलसेकरीने पूजाकरे ॥७॥ नैव जविहांणेहियके ॥ नैवेद्यसुखडीप्रमुखे पूजाकरे॥८॥ जि पूजा ठहिनणीया एष्टप्रकारीपूजा जीनके ॥ श्री
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