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श्रीरागमाला.
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हुकमबलहारीगुरुनी अली बिलावलरागनी कहि ॥ इति पद३९ संपुर्ण ॥
रागनीवीलावलसुवा ॥ चेतनगरुलघुपरजायतेजाणो ॥चेतन०॥ हांणव्रधिखटगुणभाखी सरवैदर वैमे प्रणमै ॥ हाणीतेतोवयैकाहावे व्रधिउतपाततेरमै ॥ चेत० ॥ १ ॥ व्रधिवै यैहाणीउतपात गरुलघुदरवैतेजाणो ॥ सरवैदरवैमेइम जकहिये येमपरजायबखाणो ॥ चेत०२ ॥ श्रलोकमेपणा गुरुलघु है नीचसेनावेलहीयै ॥ मुनीहूक मयेछटी व्याख्या सुवावीलावलकहिये ॥ इतिपद ४० संपुर्ण ॥
रागनीसारंग ॥ बंद्राबनीः त्रास्तिपरजायसांम्रैथरुपये येमचीत में समीयै॥ त्रांकणी ॥ सरवैदरवैनोप्रास्तीस्वना वै अनंतगुणोतेलहियै ॥बशेषरुपते सांचैथपणो है सांम्रथप्रै जायतेकहियै॥१॥ त्रैवर्तिरुपतेनमीतनेदछै तेथीउतपातवै यैलहिये ॥ पूर्बवशेषपरजायनेवैयै श्रभिनवैबशेषतेकहियै ॥२॥सः इमपरजायनोप्रेणमवनाखं दुवैतेबशेषपरजायै ॥ मुनि हूकते रागनिनाखि बंद्राबनसारगथाये॥ ३ ॥ इतिपद ४१ संपुर्ण ॥
रागनीपिलु | चेतननिजशुभावकुजाणे नित्यानित्यका हाणारे प्रांक ॥ नित्यैस्वभावजाहानहिलाधे जाहाका रजनविहोवैरे॥कारणपणोपपतिहान दिसे कारियेशिधिनै जोवैरे ॥०१॥ नित्यैपणानोजाहांनावछे गायकश
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