SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 369
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ श्रीरागमाला. ३६१ हुकमबलहारीगुरुनी अली बिलावलरागनी कहि ॥ इति पद३९ संपुर्ण ॥ रागनीवीलावलसुवा ॥ चेतनगरुलघुपरजायतेजाणो ॥चेतन०॥ हांणव्रधिखटगुणभाखी सरवैदर वैमे प्रणमै ॥ हाणीतेतोवयैकाहावे व्रधिउतपाततेरमै ॥ चेत० ॥ १ ॥ व्रधिवै यैहाणीउतपात गरुलघुदरवैतेजाणो ॥ सरवैदरवैमेइम जकहिये येमपरजायबखाणो ॥ चेत०२ ॥ श्रलोकमेपणा गुरुलघु है नीचसेनावेलहीयै ॥ मुनीहूक मयेछटी व्याख्या सुवावीलावलकहिये ॥ इतिपद ४० संपुर्ण ॥ रागनीसारंग ॥ बंद्राबनीः त्रास्तिपरजायसांम्रैथरुपये येमचीत में समीयै॥ त्रांकणी ॥ सरवैदरवैनोप्रास्तीस्वना वै अनंतगुणोतेलहियै ॥बशेषरुपते सांचैथपणो है सांम्रथप्रै जायतेकहियै॥१॥ त्रैवर्तिरुपतेनमीतनेदछै तेथीउतपातवै यैलहिये ॥ पूर्बवशेषपरजायनेवैयै श्रभिनवैबशेषतेकहियै ॥२॥सः इमपरजायनोप्रेणमवनाखं दुवैतेबशेषपरजायै ॥ मुनि हूकते रागनिनाखि बंद्राबनसारगथाये॥ ३ ॥ इतिपद ४१ संपुर्ण ॥ रागनीपिलु | चेतननिजशुभावकुजाणे नित्यानित्यका हाणारे प्रांक ॥ नित्यैस्वभावजाहानहिलाधे जाहाका रजनविहोवैरे॥कारणपणोपपतिहान दिसे कारियेशिधिनै जोवैरे ॥०१॥ नित्यैपणानोजाहांनावछे गायकश ४६.
SR No.022174
Book TitleAdhyatma Prakaran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorHukammuni, Hirachand Vajechand
PublisherHirachand Vajechand
Publication Year1880
Total Pages738
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size20 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy