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________________ ॥१७॥ सूत्रानुसारश्चायं. तिवरिसयरियागस्स न-आचारयकप्पनाम अज्जयणं, चनवरिसस्स न सम्म -सूयगनं नाम अंगं ति. ॥ १॥ दसकप्पव्ववहारा-संवचरपणगदिक्खियस्सेव, गणं समवाओ चिय-दो अंगे अध्वासस्स. ॥२॥ दसवासस्स विवाहो-एक्कारसवासयस्स उ श्मे न खुबियविमाणमाई-अज्जयणा पंच नायव्वा. ॥ ३॥ वारसवासस्स तहा-अरणुववायाइ पंच अज्जयणा, तेरसवासस्स तहा--नघाणसुयाश्या चनरो. ॥ ॥ चोदसवासस्स तहा-आसीविसनावणा जिणा विति, पन्नरसवासगस्स य-दिट्टीविसनावणं तहय. ॥५॥ सोलसवासाईसु य-एगुत्तरवढिएसु जहसंखं, चारण सूत्रोनु अनुसरण आ रीते :त्रण वर्षना दीक्षितने आचारांग अने प्रकल्प नामे अध्ययन शाखाम. चार वर्षना दीक्षितने सूयगमांग शीखामवं. १ पांच वर्षना दीक्षितने दशाश्रुतस्कंध वृहत्कटप अने व्यववहार सूत्र शीखववा. आठ वर्षना दीक्षितने स्थानांग अने समवायांग शीखववां. ( २ ) दश वर्षना दीक्षितने जगवती सूत्र शीखव. अग्यार वर्षना दीक्षितने झुकविमान । वगेरे पांच सूत्र शीखववा. ( ३ )वार वर्षना दीकितने अरणोपपात वगेरे पांच सूत्र शीखववां. तेर वर्षना दीक्षितने । नत्यानश्रुत वगेरे चार सूत्र शीखववा. (४) चौद वर्षना दीकितने आशीविषनावना शीखामवी एम जिनेश्वरो कहे छे. पनर वर्षना दीक्षितने दृष्टिविष नावना शीखामवी. ( ५ ) सोळ सत्तर अने अढार वर्षना दीक्षितने अनुक्रमे चार श्री उपदेशपद.
SR No.022167
Book TitleUpdeshpad Part 01
Original Sutra AuthorHaribhadrasuri
Author
PublisherLalan Niketan Madhada
Publication Year1925
Total Pages420
LanguageSanskrit, Gujarati
ClassificationBook_Devnagari & Book_Gujarati
File Size13 MB
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