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विवेचन - पुद्गल रहित, अरूपी अने निराकार एवो प्रात्मा जेम तेजस कार्मण शरीर वड़े इन्द्रिय अने हाथ विना पण गर्भ मां सर्व प्रकारनी क्रिया करे छे तेम अपौ दगलिक, अरूपी अने निराकार एवो आत्मा इन्द्रिय अने हाथ विना परण तैजस कार्मण शरीर वड़े कर्मो पण ग्रहण करे छे.
म्यूलम्-- द्रव्याणिरूपोरिणगुरुरिणत द्वत्, सूक्ष्मारिणबालाति पुरान्तरासुमान् । कर्माणितत्सूक्ष्मतमामिनोकथं गृह्णात्य यंतैजमकर्मणाङ्गतः । २२
गाथार्थ- तेज प्रमाणे शरीरमा रहेल जीव मोटा रूपी द्रब्यो अने राग द्वेषादि सूक्ष्म द्रव्यो तैजस कार्मरण शरीर वड़े ग्रहण करे छे तो सूक्ष्म एवां कर्मो केम ग्रहण न करे ? विवेचन द्रव्य ना बे प्रकार छे. स्थूल एटले मोटों द्रव्यो जेम के आहार आदि मोटां द्रव्यो जे रूपी द्रव्यो गणाय छे. सूक्ष्म एटले तद्दन नानां द्रव्यो जेमके राग-द्वेष आदि. तेमज कर्मो अादि रूपी द्रव्यो होवा छतां लद्दन नानां द्रव्यो. जीव शरीर मां रहेला मोटां आहारादि रूपी द्रव्यो तेमज राग-द्वोष आदि सूक्ष्म रूपी द्रव्यो तैजस कार्मण शरीर वड़े इन्द्रिय अने हाथ विगेरे विना पण ग्रहण करे छे तो जीव इन्द्रिय अने हाथ आदि विना