________________
(२७)
..
विवेचन-- जैन शासन कोई पण कार्यं मां स्वभाव, काल , भवितव्यता , कर्म अने उद्यम एम पांच कारणो माने छे . ए पांच कारण विना कोई परंग कार्य थतु नथी. जों के क्वचित् दरेक कार्य मां कोई पण कारण नी मुख्यता अथवा गौणतो होय छे परन्तु दरेक कार्यं मां पांचे कारणो अवश्य होय छे . . सम्यक्त्व नी प्राप्ति मां पांच कारणो केवी रीते कारण भूत बने छे तेअत्रे बराबर समझाववामां आवे छे .............. . . मोक्ष मां जवां माटे अयोग्य ते अभवि अने योग्य ते भवि. अभवि आत्मा कोई पण काले सम्यक्त्व पामी शकतो: नथी परन्तु भवि प्रात्माज सम्यक्त्व पामी शके छे.. एमां भवि प्रात्मा सम्यक्त्व पामे छे तेमां स्वभावज कारण भूत छे . ..... 1. अनंतानंत पुद्गल परावर्तन काल पा संसार मां जीवने परिभ्रमण करतां पसार थई गयो परन्तु ज्यों सुधी भवि प्रात्मा पण छेल्ला एक पुद्गल परावर्तनकाल मां न आवे त्यां सुधी सम्यक्त्व पामी शकतो नथी. ज्यारे छैल्ला पुद्गल परावर्तन काल मां भवि आत्मा पण अवि त्यारेज सम्यक्त्व पामी शके छे. ते समये कालज़ सम्यक्त्व पामवामां कारण भूत छे ...